Ehsaas par shayari
वजूद शीशे का हो तो !!
पत्थरों से मोहब्बत नहीं करते !!
एहसास-ए-चाहत ना मिले !!
तो हस्ती बिखर जाती है !!
सब भूल जाता हूँ !!
आप के सिवा यह क्या मुझे हुआ है !!
क्या इसी एहसास को !!
दुनिया ने इश्क़ का नाम दिया है !!
मौत का नही खौफ !!
मगर एक दुआ है रब से !!
कि जब भी मरु तेरे होने !!
का एहसास मेरे साथ मर जाये !!
आज अचानक कोई !!
मुझसे लिपट कर बहुत रोया !!
कुछ देर बाद एहसास हुआ !!
ये तो मेरा ही साया है !!
मेरे सीने से लिपटे रहते हैं !!
तेरी यादें और एहसास तेरे !!
जैसे लिखावट कोई लिपटी हो !!
किताबी पन्नों से !!
जब बिखरेगा तेरे रूखसार !!
पर तेरी आँखों का पानी !!
तुझे एहसास तब होगा !!
मोहब्बत किस को कहते हैं !!
एक दिन तुम्हे एहसास होगा !!
कि क्या था मैं तुम्हारे लिए !!
पर तब तक मैं तुम्हारी !!
जिंदगी से बहुत दूर जा चुका हूँगा !!
जागना भी कबूल है !!
तेरी यादों में रात भर !!
तेरे एहसासों में जो !!
सुकून है वो नींद में कहाँ !!
आँसू निकल पडे ख्वाब मे
उसको दूर जाते देखकर !!
आँख खुली तो एहसास !!
हुआ इश्क सोते हुए भी रुलाता है !!
तकलीफ़ मिट गई !!
मगर एहसास रह गया !!
ख़ुश हूँ कि कुछ न !!
कुछ तो मेरे पास रह गया !!
तुम लाख छुपाओ चेहरे !!
से एहसास हमारी चाहत का !!
दिल जब भी तुम्हारा धड़का है !!
आवाज़ यहां तक आयी है !!
हम दिल के सच्चे !!
कुछ एहसास लिखते है !!
मामूली शब्दों में ही !!
सही कुछ खास लिखते हैं !!
कितना प्यार है तुमसे वो !!
लफ़्ज़ों के सहारे कैसे बताऊँ !!
महसूस कर मेरे एहसास !!
को गवाही कहाँ से लाऊं !!
इसे भी पढ़े:-