Best Sharabi Shayari in Hindi 2023 | शराब शायरी

कभी देखेंगे ऐ जाम तुझे होठों से लगाकर !!
तू मुझमें उतरता है कि मैं तुझमें उतरता हूँ !!

किसी प्याले से पूछा है सुराही ने सबब मय का !!
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना है !!

देना वो उसका सागर व मय याद है निजाम !!
मुह फेर कर उधर को इधर को बढा के हाथ !!

कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई !!
आओ कहीं शराब पिएँ रात हो गई !!

मय बरसती है फ़ज़ाओं पे नशा तारी है !!
मेरे साक़ी ने कहीं जाम उछाले होंगे !!

मुझे ऐसी शराब बता ऐ दोस्त !!
नशा-ए-इश्क उतार पाऊ मै !!

मिले ग़म से अपने फ़ुर्सत तो सुनाऊँ वो फ़साना !!
कि टपक पड़े नज़र से मय-ए-इश्रत-ए-शबाना !!

एक शराब की बोतल दबोच रखी है !!
तुझे भुलाने की तरकीब सोच रखी है !!


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Best Sharabi Shayari in Hindi

अब तो ज़ाहिद भी ये कहता है बड़ी चूक हुई !!
जाम में थी मय-ए-कौसर मुझे मालूम न था !!

हमने पूछा कैसे,वो चले गए !!
हाथों मे जाम देकर !!

मिले तो बिछड़े हुए मय-कदे के दर पे मिले !!
न आज चाँद ही डूबे न आज रात ढले !!

तुम्हारी आँख की तौहीन है जरा सोचो !!
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है !!

टूटे हुए पैमाने बेकार सही लेकिन !!
मय-ख़ाने से ऐ साक़ी बाहर तो न फेंका कर !!

बहुत अमीर होती है ये शराब की बोतलें !!
पैसा चाहे जो भी लग जाए सारे ग़म ख़रीद लेतीं हैं !!

तुम्हें जो सोचें तो होता है कैफ़ सा तारी !!
तुम्हारा ज़िक्र भी जामे-शराब जैसा है

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कहते हैं पीने वाले मर जाते हैं जवानी में !!
हमने तो बुजुर्गों को जवान होते देखा है मैखाने में !!

इक सिर्फ़ हमीं मय को आँखों से पिलाते हैं !!
कहने को तो दुनिया में मयख़ाने हज़ारों हैं !!

नतीजा बेवजह महफिल से उठवाने का क्या होगा !!
न होंगे हम तो साकी तेरे मैखाने का क्या होगा !!

ये ना पूछ मैं शराबी क्यूँ हुआ,बस यूँ समझ ले !!
गमों के बोझ से,नशे की बोतल सस्ती लगी !!

उन्हीं के हिस्से में आती है ये प्यास अक्सर !!
जो दूसरों को पिलाकर शराब पीते हैं !!

तुम्हारी आँखों की तौहीन है,ज़रा सोचो !!
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है !!

साबित हुआ है गर्दन-ए-मीना पे ख़ून-ए-ख़ल्क़ !!
लरज़े है मौज-ए-मय तेरी रफ़्तार देख कर !!

हम तो समझे थे के बरसात में बरसेगी शराब !!
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया !!

कहीं सागर लबालब हैं कहीं खाली पियाले हैं !!
यह कैसा दौर है साकी यह क्या तकसीम है साकी !!

शिकन न डाल माथे पर शराब देते हुए !!
ये मुस्कुराती हुई चीज़ मुस्कुरा के पिला !!

उनकी आंखें यह कहती रहती हैं !!
लोग नाहक शराब पीते हैं !!

तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो !!
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है !!

मत पूछ उसके मैखाने का पता ऐ साकी !!
उसके शहर का तो पानी भी नशा देता है !!

कभी उलझ पड़े खुदा से कभी साक़ी से हंगामा !!
ना नमाज अदा हो सकी ना शराब पी सके !!

आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में ‘फ़िराक़ !!
जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए !!

Sharabi Shayari in Hindi

ग़ालिब छुटी शराब पर अब भी कभी कभी !!
पीता हूँ रोज़-ए-अब्र-ओ-शब-ए-माहताब में !!

मेरी तबाही का इल्जाम अब शराब पर है !!
करता भी क्या और तुम पर जो आ रही थी बात !!

तुम्हें जो सोचें तो होता है कैफ़-सा तारी !!
तुम्हारा ज़िक्र भी जामे-शराब जैसा है !!

मुझ तक कब उनकी बज़्म में आता था दौर-ए-जाम !!
साक़ी ने कुछ मिला न दिया हो शराब में !!

मुझे थी तेरे होठों की तलब !!
आज मेरे लबों से यह शराब गुजरी है !!

अरे ना मिले मोहब्बत तो क्या मर जाएंगे !!
हम तो शराब पीकर आराम से सो जाएंगे !!

इश्क का जुनून सिर पर चढ़ रहा है !!
मयखाने से कह दो कि दरवाजा खुला रखे !!

तुम्हारे आंखों की तोहीन है जरा सोचो !!
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है !!

देखा किये वह मस्त निगाहों से बार-बार !!
जब तक शराब आई कई दौर चल गये !!

अब तो उतनी भी बाकी नहीं मय-ख़ाने में !!
जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में !!

तुम्हारी बेरूखी ने लाज रख ली बादाखाने की !!
तुम आंखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते !!

तबसरा कर रहे हैं दुनिया पर !!
चदं बच्चे शराब खाने में !!

शराब पीने से काफ़िर हुआ मैं क्यूं !!
क्या डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया !!

दिखा के मदभरी आंखें कहा ये साकी ने !!
हराम कहते हैं जिसको यह वो शराब नहीं !!

तू डालता जा साकी शराब मेरे प्यालों मे !!
जब तक ना निकले वो मेरे ख्याल से !!

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Sharabi Shayari

अगर गम मेरे प्यार पर हावी ना होता !!
तो दोस्तो आज मैं भी शराबी ना होता !!

चारों तरफ तनहाई का साया है !!
जिंदगी में प्यार किसने पाया है !!

रह गई जाम में अंगड़ायाँ लेके शराब !!
हम से माँगी न गई उन से पिलाई न गई !!

थोड़ी सी पी शराब थोड़ी सी उछाल दी !!
कुछ इस तरह से हमने जवानी निकाल दी !!

निगाह-ए-साक़ी से पैहम छलक रही है शराब !!
पिओ की पीने-पिलाने की रात आई है !!

मय-ख़ाना सलामत है तो हम सुर्ख़ी-मय से !!
तज़ईन-ए-दर-ओ-बाम-ए-हरम करते रहेंगे !!

बस एक इतनी वजह है मेरे न पीने की !!
शराब है वही साक़ी मगर गिलास नहीं !!

मुखातिब हैं साकी की मख्मूर नजरें !!
मेरे जर्फ का इम्तिहाँ हो रहा है !!

टूटे तेरी निगाह से अगर दिल हबाब का !!
पानी भी फिर पिएं तो मज़ा दे शराब का !!

थोड़ी सी पी शराब थोड़ी उछाल दी !!
कुछ इस तरह से हमने जवानी निकाल दी !!

तेरी निगाह थी साक़ी कि मैकदा था कोई !!
मैं किस फ़िराक में शर्मिंदा-ए-शराब हुआ !!

आज इतनी पिला साकी के मैकदा डुब जाए !!
तैरती फिरे शराब में कश्ती फकीर की !!

मैकदे लाख बंद करें जमाने वाले !!
शहर में कम नहीं आंखों से पिलाने वाले !!

एसी शराब पी है कि इक दिन मेरा निशां !!
मस्जिद में खानकाह में ढूँढा करेंगे लोग !!

पीने से कर चुका था मैं तौबा दोस्तों !!
बादलो का रंग देख नीयत बदल गई !!

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तुम आज साक़ी बने हो तो शहर प्यासा है !!
हमारे दौर में ख़ाली कोई गिलास न था !!

पीने से कर चुका था मैं तौबा मगर ‘जलील !!
बादल का रंग देख के नीयत बदल गई !!

पूछिये मैकशों से लुत्फ़ ए शराब !!
ये मज़ा पाकबाज़ क्या जाने !!

पीने दे शराब मस्जिद में बैठ कर !!
या वो जगह बता जहाँ खुदा नहीं !!

होकर ख़राब-ए-मय तेरे ग़म तो भुला दिये !!
लेकिन ग़म-ए-हयात का दरमाँ न कर सके~साहिर !!

गज़लें अब तक शराब पीती थीं !!
नीम का रस पिला रहे हैं हम !!

मस्त करना है तो खुम मुँह से लगा दे साकी !!
तू पिलाएगा कहाँ तक मुझे पैमाने से !!

उस शख्स पर शराब का पीना हराम है !!
जो रहके मैक़दे में भी इन्सां न हो सका !!

लोग अच्छी ही चीजों को यहाँ ख़राब कहते हैं !!
दवा है हज़ार ग़मों की उसे शराब कहते हैं !!

ज़ाहिद शराब पीने से,क़ाफ़िर हुआ मैं क्यों !!
क्या डेढ़ चुल्लू पानी में,ईमान बह गया !!

आमाल मुझे अपने उस वक़्त नज़र आए !!
जिस वक़्त मेरा बेटा घर पी के शराब आया !!

ख़ुद अपनी मस्ती है जिस ने मचाई है हलचल !!
नशा शराब में होता तो नाचती बोतल !!

पहले तुझ से प्यार करते थे !!
अब शराब से प्यार करते हैं !!

लोग जिंदगी में आये और चले गए !!
लेकिन शराब ने कभी धोखा नहीं दिया !!

के आज तो शराब ने भी अपना रंग दिखा दिया !!
दो दुश्मनो को गले से लगवा,दोस्त बनवा दिया !!

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एक घूँट शराब की जो मैंने लबों से लगायी !!
तो आया समझ कि इससे भी कड़वी है तेरी सच्चाई !!

पहले सागर से तो छलके मय-ए-गुलफाम का रंग !!
सुबह के रंग में ढल जाएगा खुद शाम का रंग !!

सोच था कुछ और,लेकिन हुआ कुछ और !!
इसीलिए ये भुलाने के लिए चले गए शराब की ओर !!

हर जाम पी गया मैं,ऐ दर्दे-जिंदगानी !!
फिर भी बड़ा तरसा हूं,कुछ और शराब दे दो !!

तौहीन न करना कभी कह कर कड़वा शराब को !!
किसी ग़मजदा से पूछियेगा इसमें कितनी मिठास है !!

अब क्या बताऊँ तुझको कि !!
तेरे जाने के बाद इस दिल पर क्या-क्या बीती है !!
अब तो हम शराब को और शराब हमको पीती है !!

मीर इन नीम बाज आखों में !!
सारी मस्ती शराब की सी है !!

मयखाने की इज्ज़त का सवाल था हुज़ूर !!
सामने से गुजरे तो,थोड़ा सा लड़खड़ा दिए !!

तुम्हारी नीम निगाही में न जाने क्या था !!
शराब सामने आयी तो फैंक दी मैंने !!

हमने होश संभाला तो संभाला तुमको !!
तुमने होश संभाला तो संभलने न दिया !!

हम तो बदनाम हुए कुछ इस कदर दोस्तों !!
की पानी भी पियें तो लोग शराब कहते हैं !!

पीने से कर चुका था मैं तोबा !!
मगर महफिल मैं महबूबा को !!
देखकर नियत बदल गई !!

पीकर पार्टी में रात भर सब कुछ !!
भुलाने लगे है नशे में अब !!
वो बेवफा याद आने लगी है !!

तेरी मोहब्बत का कुछ ऐसा !!
फरमान आया है एक हाथ में कलम !!
तो दूसरे हाथ में जाम है !!

पर्दा तो होश वालो !!
से करते है हुजूर तुम बेनकाब !!
चले आओ हम तो नशे में है !!

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रूखी सी जिंदगी !!
गुलाबी बन गई शराब ही !!
जिंदगी जीने का सहारा बन गई !!

शराब वो पिए जिन्हें चढ़के !!
उतर जाती है मैं नहीं पियूंगा !!
कमबख्त दिल में उतर जाती है !!

नशा तो बस तेरी बातों से !!
ही चढ़ जाता है बिन पिए !!
ही मै शराबी कहलाता है !!

इंसान ही तो हूं मैं आशिक !!
दीवाना शायर और शराबी !!
सब तुम्हारी मोहब्बत !!

तेरी जुदाई के गम को हम !!
भुलाने लगे है शराब पी कर !!
अपने दिल को बहलाने लगे है !!

कभी अकेला नही छोड़ोगी !!
कहती थी तुम तेरे गम में वह !!
मासूम लड़का शराबी हो गया !!

खुशियां ना जाने कहां गुम !!
हो गई है दारू ही हमारे !!
जीने का सहारा बन गई है !!

रब की बनाई इस दुनिया में !!
दो ही चीजें खराब है !!
एक मोहब्बत और दूसरी शराब है !!

मत पूछो इश्क में लोगो !!
का हाल कैसा होता है खाली !!
पैमाना भी भरी बोतल जैसा होता है !!

कतरे कतरे में गमों को !!
समेट रहा हूं ज्यादा हो गई !!
भाई आखरी पैग फैक रहा हूं !!

कहते है प्यार जीने नही देता !!
पर जनाब यह अच्छे-अच्छे !!
शराबियो को पीने नही देता !!

हम तुम्हारी यादों में झूमते है !!
और जमाना कहता है देखो !!
आज फिर पी कर आया है !!

मुद्दतों बाद नशे में तुम !!
नजर आए हो हम पीते पीते !!
मर जाएं तो अब कोई गम नही !!

रोक दो मेरे जनाज़े को जालिमो !!
मुझमें जान आ गयी है पीछे मुड़के !!
देखो कमीनो दारू की दुकान आ गयी है !!

तू होश में थी फिर भी !!
हमे पहचान न पायी एक हम है !!
कि पी कर भी तेरा नाम लेते रहे !!

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कड़क ठंड में कड़क !!
चाय का मजा शराब पीने !!
वाले क्या जाने चाय का नशा !!

शराब के भी अपने ही रंग हैं साकी !!
कोई आबाद होकर पीता है !!
तो कोई बर्बाद होकर पीता है !!

बे पिए ही शराब से नफ़रत !!
ये जहालत नही तो और क्या है !!
साहिर लुधियानवी !!

शराब के भी अनेक रंग हैं साक़ी !!
कोई पीता है आबाद होकर !!
तो कोई पीता है बर्बाद होकर !!

जिगर की आग बुझे जिससे जल्द वो शय ला !!
लगा के बर्फ़ में साक़ी !!
सुराही-ए-मय ला !!

कभी मौक़ा लगे !!
कड़वे दो घूँट चख लेना !!
ज़रा तेरे लिये शराब छोड़ आए हैं !!

अपनी नशीली निगाहों को !!
जरा झुका दीजिए जनाब !!
मेरे मजहब में नशा हराम है !!

‘हाली’ नशात-ए-नग़मा-ओ-मय ढूंढते हो अब !!
आये हो वक़्त-ए-सुबह !!
रहे रात भर कहाँ !!

मेरे इत्तक़ा का बाइस,तु है मेरी नातवानी !!
जो में तौबा तोड़ सकता ,तो शराब ख़ार होता !!
अमीर मीनाई !!

इक धड़कता हुआ दिल !!
एक छलकता हुआ जाम !!
यही ले आते हैं मयनोश को मयख़ाने में !!

न जख्म भरे !!
न शराब सहारा हुई !!
न वो वापस लौटी न मोहब्बत दोबारा हुई !!

पीना काम आ गया !!
लड़खड़ाये कदम तो गिरे उनकी बाँहों मे !!
आज हमारा पीना ही हमारे काम आ गया !!

जनाब कहां किसी की !!
यादें किसी को संभालती है !!
यादें तो बस लोगो को !!
मयखाने तक ले जाती है !!

इश्क के नाम पर यहां !!
तो लोग खून पीते है !!
मुझे खुद पर नाज है !!
मै सिर्फ शराब पीता हूं !!

तुझे खुशी का एक !!
जाम भी नसीब ना होगा !!
मुझे इस कदर गमों !!
मैं शराबी बनाने वाले !!

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हर बार सोचता हूँ !!
छोड़ दूंगा मैं पीना अब से !!
मगर तेरी आड़ आती है !!
और हम मयखाने को चल पड़ते हैं !!

मिलावट है तेरे इश्क में !!
इत्र और शराब की !!
कभी हम महक जाते हैं !!
कभी हम बहक जाते हैं !!

तेरी आँखों के ये जो प्याले हैं !!
मेरी अंधेरी रातों के उजाले हैं !!
पीता हूँ जाम पर जाम तेरे नाम का !!
हम तो शराबी बे-शराब वाले हैं !!

तुम क्या जानो शराब कैसे पिलाई जाती है !!
खोलने से पहले बोतल हिलाई जाती है !!
फिर आवाज़ लगायी जाती है आ जाओ टूटे दिल वालों !!
यहाँ दर्द-ए-दिल की दवा पिलाई जाती है !!

ग़म इस कदर बढ़े कि घबरा के पी गया !!
इस दिल की बेबसी पे तरस खा के पी गया !!
ठुकरा रहा था मुझे बड़ी देर से ज़माना !!
मैं आज सब जहान को ठुकरा के पी गया !!

यूँ बिगड़ी बहकी बातों का !!
कोई शौक़ नही है मुझको !!
वो पुरानी शराब के जैसी है !!
असर सर से उतरता ही नहीं !!

कौन है जिसने मय नही चक्खी !!
कौन झूठी क़सम उठाता है !!
मयकदे से जो बच निकलता है !!
तेरी आँखों में डूब जाता है !!

हर किसी बात का जवाब नहीं होता !!
हर जाम इश्क में ख़राब नहीं होता !!
यूँ तो झूम लेते है नशे में रहने वाले !!
मगर हर नशे का नाम शराब नहीं होता !!

तमाम रातें गुजर गयीं मयखाने में पीते-पीते !!
मगर अफ़सोस !!
न बोतल ख़त्म हुयी !!
न किस्सा ख़त्म हुआ !!
और न ही तेरे दर्द का वो हिस्सा ख़त्म हुआ !!

नशा पिला के गिराना तो !!
सब को आता है !!
मज़ा तो तब है कि !!
गिरतों को थाम ले साक़ी !!

पूरा अब मेरा ये ख़्वाब हो जाये !!
लिख दू उनके दिल पे किताब हो जाये !!
ना मयकदे की जरूरत हो ना मयखाने की !!
अगर नज़र से पिला दो शराब हो जाये !!

शायरी वो नही लिखते हैं !!
जो शराब से नशा करते हैं !!
शायरी तो वो लिखते हैं !!
जो यादों से नशा करते हैं !!

दारु चढ के उतर जाती है !!
पैसा चढ जाये तो उतरता नही !!
आप अपने नशे में जीते है !!
हम जरा सी शराब पीते है !!
गुलज़ार !!

झूठ कहते हैं लोग कि !!
शराब ग़मों को हल्का कर देती है !!
मैंने अक्सर देखा है लोगों को !!
नशे में रोते हुए !!

ज़बान कहने से रुक जाए !!
वही दिल का है अफ़साना !!
ना पूछो मय-कशों से क्यों !!
छलक जाता है पैमाना !!

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इश्क़-ऐ-बेवफ़ाई ने डाल दी है आदत बुरी !!
मैं भी शरीफ हुआ करता था इस ज़माने में !!
पहले दिन शुरू करता था मस्जिद में नमाज़ से !!
अब ढलती है शाम शराब के साथ मैखाने में !!

पी है शराब हर गली हर दुकान से !!
एक दोस्ती सी हो गई है शराब के जाम से !!
गुज़रे हैं हम इश्क़ में कुछ ऐसे मुकाम से !!
की नफ़रत सी हो गई है मुहब्बत के नाम से !!

मैं तोड़ लेता अगर तू गुलाब होती !!
मैं जवाब बनता अगर तू सवाल होती !!
सब जानते है मैं नशा नही करता !!
मगर मैं भी पी लेता अगर तू शराब होती !!

जाम पे जाम पीने से क्या फायदा दोस्तों !!
रात को पी हुयी शराब सुबह उतर जाएगी !!
अरे पीना है तो दो बूंद बेवफा के पी के देख !!
सारी उमर नशे में गुज़र जाएगी !!

नशा मोहब्बत का हो या शराब का !!
होश दोनों में खो जाते है !!
फर्क सिर्फ इतना है की शराब सुला देती है !!
और मोहब्बत रुला देती है !!

कुछ चेहरे लाजवाब लगते हैं !!
मोहब्बत के लम्हें शराब लगते हैं !!
दर्द इतने सहे मोहब्बत में मैंने !!
कि अब होश के पल खराब लगते हैं !!

पीते थे शराब हम !!
उसने छुड़ाई अपनी कसम देकर !!
महफ़िल में आये तो यारों ने !!
पिला दी उसकी कसम देकर !!

थोड़ा गम मिला तो घबरा के पी गए !!
थोड़ी खुशी मिली तो मिला के पी गए !!
यूँ तो न थी हमें ये पीने की आदत !!
शराब को तन्हा देख तरस खा के पी गए !!

कौन आता है मयखाने में !!
पीने को ये शराब साकी !!
हम तो तेरे हुस्न का !!
दीदार किया करते हैं !!

गिरी मिली एक बोतल शराब की तो ऐसा लगा मुझे !!
जैसे बिखरा पड़ा था एक रात का सुकून किसी का !!
ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर !!
या वो जगह बता दे जहाँ पर ख़ुदा न हो !!

आये कुछ अब्र कुछ शराब आये !!
उसके बाद आये तो अज़ाब आये !!
बाम-इ-मिन्हा से महताब उतरे !!
दस्त-ए-साक़ी में आफ़ताब आये !!

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