अब ख़ुशी है ना कोई ग़म रुलाने वाला !!
हमने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला !!
एक बे-चेहरे सी उम्मीद है चेहरा-चेहरा !!
जिस तरफ भी देखिये आने को है आने वाला !!
अब किसी से भी शिकायत नहीं रही !!
जाने किस-किस से गिला था पहले !!
यहाँ कोई किसी को रास्ता नहीं देता !!
मुझे गिरा कर अगर तुम संभल सको तो चलो !!
बरसात का बादल तो दीवाना है वो क्या जाने !!
किस राह से बचना है और किस छत को भिगोना है !!
अपनी मर्जी के कहाँ अपने सफ़र के है हम !!
रुख हवाओ का जिधर का है उधर के है हम !!
हर घडी खुद से उलझना है मुकदर मेरा !!
मैं ही कश्ती हूँ मुझी में है समंदर मेरा !!
घर से मस्जिद है बड़ी दूर !!
चलो यूँ करे के रोते हुए बच्चे को हँसा लिया जाये !!
दिल को ना हो ज़रुरत तो महोब्बत नहीं मिलती !!
खैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती !!
केवल खुशिया है अब न कोई रुलाने वाला !!
हमने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला !!