मुमकिन है सफर तो आजा अब साथ मे चलकर के देखे !!
थोडा तुम बदल के देखो थोड़ा हम भी बदल के देखे !!
बच्चो के छोटे-छोटे हाथो को चाँद सितारे छूने दो !!
चार किताबे पढ़ कर ये भी हम जैसे हो जायेंगे !!
गुरुर बढ़ने लगा था इंसान काn!!
धुप ने फ़ौरन साया छोटा कर दिए !!
यू ही कुछ लोग खफा है हमसे भी इस शहर में !!
क्योंकि हर एक से अपनी तबियत नही मिलती !!
गम अपने सारे लेकर अब कही जाया नही जाए !!
बिखरे हुए घर के चीज़ों को अब सजाया जाए !!
हवाओ से खोफ नही अब उन चिरागों को !!
जिन चिरागों को हवाओ से बचाया जाए !!
हुआ क्या इस शहर को कुछ तो नज़र आये कही !!
यू किया जाए आज खुद को रुलाया जाए !!
हिम्मत नही अब खुदखुशी करने की !!
कुछ दिन औरो को भी सताया जाए !!
दूर है घर से मस्जिद चलो यू करे !!
की किसी रोते हुए बच्चे को हसाया जाए !!
दुश्मन उसका भी बहुत अच्छा आदमी होगा !!
वो भी इस शहर में मेरी तरह तन्हा होगा !!