घर को खोजें रात दिन घर से निकले पाँव !!
वो रस्ता ही खो गया जिस रस्ते था गाँव !!
बच्चा बोला देख कर मस्जिद आली-शान !!
अल्लाह तेरे एक को इतना बड़ा मकान !!
नक़्शा ले कर हाथ में बच्चा है हैरान !!
कैसे दीमक खा गई उस का हिन्दोस्तान !!
घर को खोजें रात दिन घर से निकले पाँव !!
वो रस्ता ही खो गया जिस रस्ते था गाँव !!
मुझ जैसा इक आदमी मेरा ही हमनाम !!
उल्टा सीधा वो चले मुझे करे बद-नाम !!
सब की पूजा एक सी अलग अलग हर रीत !!
मस्जिद जाए मौलवी कोयल गाए गीत !!
वो सूफ़ी का क़ौल हो या पंडित का ज्ञान !!
जितनी बीते आप पर उतना ही सच मान !!
मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार !!
दुख ने दुख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार !!
नैनों में था रास्ता हृदय में था गाँव !!
हुई न पूरी यात्रा छलनी हो गए पाँव !!
मैं भी तू भी यात्री चलती रुकती रेल !!
अपने अपने गाँव तक सब का सब से मेल !!