नवरात्रि की शुभकामनाएं
ना सह सका जो अपनी बहन का अपमान !!
था जिसे चारो वेदो का ज्ञान भाई कुम्भकरण !!
और बेटा मेघनाथ सोचो क्यों नहीं होता उसका सम्मान !!
खुश हो गया मन !!
जब देखा रावण दहन !!
कब जलेंगे भीतरी रावण !!
पूछे हैं ये मन !!
दशहरा हर साल आता है पर ना जाने फिर !!
भी कैसे इस समाज में राक्षशों की !!
फ़ौज ज़िंदा रह जाती है !!
दिन है ये उज्जवल सोने का सुनहरा !!
मेरी तरफ से सभी को हैप्पी दशहरा !!
आज कल हर इंसान के इतने चहरे है !!
की शायद रावण से भी बड़ा !!
पुतला उसका बन जाएगा !!
हर साल बेचारे मरे हुए रावण को फिर से मारने से अच्छा हैं !!
कि अपने अंदर पनप रहे जिंदा रावण को मार दिया जाएं !!
आप सभी को विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं !!
हर साल आता है रावण श्रीराम की तलाश में !!
पर हर साल कलियुग के राक्षशों !!
के हाथों बेचारा मारा जाता है !!
अधर्म पर धर्म की जीत !!
अन्याय पर न्याय की विजय !!
बुराई पर अच्छाई की विजय !!
और राम की रावण पर विजय !!
यही है दशहरा का त्यौहार !!
दशहरा एक उम्मीद जगाता है !!
बुराई के अंत की याद दिलाता है !!
जो चलता है सच्चाई और अच्छाई की राह पर !!
वो विजय का प्रतीक बन जाता है !!
आज दशहरे का दिन आया !!
असत्य पर सत्य ने जीत पाया !!
रामचंद्र जी ने रावण को हराया !!
नीति का पूरी दुनिया को एक पाठ पढ़ाया !!
दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएँ !!