Maut wali shayari
कैद है कुछ ख़्वाब इन खुली आँखों में !!
न जाने कब जागती रातो का सवेरा होगा !!
ज़िंदगी तेरे पहलू में गुज़रने को यूँ बेताब थी !!
कमबख़्त नादानी में मौत को गले लगा बैठी !!
नफरत करने की दवा बता दो यारो !!
वरना मेरी मौत की वजह मेरा प्यार ही होगा !!
चंद सांसे है ,जो उड़ा ले जाएगी !!
इससे ज्यादा मौत मेरा ,क्या ले जाएगी !!
उसको छूना जुर्म है तो मेरी सजा-ए-मौत का इंतजाम करो !!
मेरे दिल की जिद है की आज उसे सीने से लगाना है !!
कमाल है..न जाने ये कैसा उनका प्यार का वादा है !!
चंद लम्हे की जिंदगी और नखरे मौत से भी ज्यादा हैं !!
ए मौत ,जरा पहले आना गरीब के घर !!
‘कफ़न’ का खर्च दवाओं में निकल जाता है !!
जो लोग मौत को ज़ालिम करार देते हैं !!
खुदा मिलाये उन्हें ज़िन्दगी के मारो से
ज़िंदगी है अपने क़ब्ज़े में न अपने बस में मौत !!
आदमी मजबूर है और किस क़दर मजबूर है !!
वो तो मौत की जिद थी ,सो उसकी ही चली !!
वरना टक्कर अच्छी दी थी मेरे मुल्क के सिपाही
न मौत आती है न कोई दवा लगती है !!
न जाने उसने इश्क में कौन सा जहर मिलाया था !!
मुझे आज भी यकीन है की तु एक दिन लौटकर आयेगा !!
चाहे वो दिन मेरी मौत का ही क्यों ना हो !!
ज़िंदगी इक सवाल है जिस का जवाब मौत है !!
मौत भी इक सवाल है जिस का जवाब कुछ नहीं !!
अब मौत से कह दो कि नाराज़गी खत्म कर ले !!
वो बदल गया है जिसके लिए हम ज़िंदा थे !!
मौत का भी इलाज हो शायद ज़िंदगी का कोई इलाज नहीं !!
फ़िराक़ गोरखपुरी !!
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