Masti wali shayari
खेला करते थे कूदा करते थे !!
मौज-मस्ती में जीया करते थे !!
वो मासूम बचपन ही था जहां !!
सभी से दोस्ती कर लिया करते थे !!
जाता सूरज कल फिर लौट आएगा !!
बिता बचपन फिर कैसे लौट पाएगा !!
वो मस्ती वो बेफिक्री का आलम !!
याद बन कर ही जब-तब सताएगा !!
स्कूल में मस्ती थी,हमारी भी कुछ हस्ती थी !!
टुइशनस का सहारा था और दिल ये आवारा था !!
काश फिर दोस्तों संग हम स्कूल जाते !!
और छुट्टियाँ मस्ती से बिताते !!
हस्ते हुए रो देता हु मैं !!
जब स्कूल की मस्ती याद आती हैं !!
क्या जबरदस्त दिन थे वो !!
जब ज़िम्मेदारिया नहीं सिर्फ मस्तीयां होती थी !!
कभी झगडा तो कभी मस्ती !!
कभी आंसू तो कभी हंसी !!
छोटा सा पल और छोटी छोटी ख़ुशी !!
एक प्यार की कश्ती और ढेर सारी मस्ती !!
बस इसीका ही तो नाम है दोस्ती !!
समुंदर ना हो तो कश्ती किस काम कीं !!
मजाक ना हो तो मस्ती किस काम की !!
दोस्तों के लिए तो कुर्बान है ये ज़िंदगी !!
अगर दोस्त ही ना हो तो फिर ये जिंदगी किस काम की !!
छोटी-बड़ी शरारतों का अंजाम है दोस्ती !!
कहे-अनकहे रिश्तों का पैगाम है दोस्ती !!
दिन-रात मस्ती का नाम है दोस्ती !!
लेकिन आपके बिना बेजान है ये दोस्ती !!
सोचा ना था कभी ऐसी दोस्ती होगी !!
मंजिलों के साथ राहें भी हसीन होगी !!
जन्नत की गलियों के ख्वाब क्यों देखूं !!
अगर हम सारे दोस्त साथ होंगे तो नरक में भी मस्ती होगी !!
कभी झगड़ा,कभी मस्ती कभी आंसू !! कभी हंसी
छोटा सा पल ,छोटी छोटी ख़ुशी !!
एक प्यार की कश्ती और ढेर सारी मस्ती !!
बस इसी का नाम तो है दोस्ती !!
ना किसी के आभाव में जियो !!
ना किसी के प्रभाव में जियो !!
ये जिंदगी आपकी है !!
बस इसे अपने मस्त स्वाभाव में जियो !!
बस खुद्दारी ही है मेरी दौलत !!
जो मेरी हस्ती में रहती है
बाक़ी ज़िंदगी तो फ़कीरी है !!
जो अपनी मस्ती में रहती है !!
थोड़ी मस्ती थोड़ा सा ईमान बचा पाया हूँ !!
ये क्या कम है मैं अपनी पहचान बचा पाया हूँ !!
कुछ उम्मीदें कुछ सपने कुछ महकी-महकी यादें !!
जीने का मैं इतना ही सामान बचा पाया हूँ !!
जिंदगी को गमले के पौधे की तरह मत बनाओ जो !!
जो थोड़ी सी धूप लगने पर मुरझा जाये !!
जिंदगी को जंगल के पेड़ की तरह बनाओ !!
जो हर परिस्तिथि में मस्ती से झूमता रहें !!
कोई पत्थर तुम्हें मारे तो आसमां हो जा !!
फूल कदमों में गर डाले तो फ़ना हो जा !!
क्या अहमियत है किसी के भी नुक्ताचीनी का !!
तू जहाँ है अपनी मस्ती में शहंशा हो जा !!
आते हैं खाब मे अब जो ,बेगानो की तरह !!
कहानी सिमट कर हो गई अफसानों की तरह !!
गुलजार है,अजीज शक्स वो मस्ती मे भूल कर !!
कभी बदले गये थे हम भी मकानों की तरह !!
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