दुनिया पड़ी रही दीन दुनियां के चक्करों में !!
मुझे अपनी दुनिया में घूमने से फुर्सत ना मिली !!
आँख तुम्हारी मस्त भी है और मस्ती का पैमाना भी !!
एक छलकते साग़र में मय भी है मय-ख़ाना भी !!
छोड़ दूँ मेरी सारी तलब को जो !!
तुम्हारे लब एक दफा मुझे पीने का मौका मिल जाए !!
सारी दुनिया को एक किनारा रहने दो !!
पास आओ मुझे तुम्हारा रहने दो !!
मैं नदी सुख चूका तू समंदर पानी से भरा हुआ !!
जो हाल मेरा बेहाल सा है ये सब है तेरा करा हुआ !!
लोग हो जाते होंगे मदहोश आपका चेहरा देख कर हम तो !!
बस आपकी आवाज़ सुनने के लिए होश में आते हैं !!
अगर मस्ती मज़ाक में भी जो देख लूँ तुम्हारी आँख में !!
मिल नहीं पाउँगा मैं किसी को भी बस खोया रहूंगा शराब में !!
मेरी फितरत में नहीं है किसी से नाराज होना नाराज वो होते हैं !!
जिनको अपने आप पर गुरूर होता है !!
हम जिस तरह से ज़िन्दगी जीते है दुनिया इस तरह से जीने को तरसती रहेगी !!
चाहे लाख कमियां हो जाए ज़िन्दगी में पर हमेशा कहीं ना कहीं मस्ती रहेगी !!
सुनता बहुत हूँ पर कुछ नहीं कहता मैं !!
हँसता बहुत हूँ पर खुश नहीं रहता मैं !!
जहान जो ये सारा तुम्हारी आँखों सा होता है !!
सही मायनो में ये खूबसूरत तब कहलाता !!
जो तू रहे तो ज़िन्दगी में मस्ती रहेगी !!
नहीं तो ताउम्र तेरी तलाश में ये ज़िन्दगी मेरी तरसती रहेगी !!
जो तू किसी शायर की शायरी का शबाब बन जाए !!
मस्ती में झूम उठे वो हर शायरी उसकी लाजवाब बन जाए !!
मस्त मौला बन कर आज कल घूमने लगा हूँ !!
लगता है मुझे भी कोई ख़ास मिल गया है !!
कदर नहीं करता मैं इस बेकदर ज़माने की !!
मुझे खुद की खबर नहीं क्या करू रख कर मैं खबर ज़माने की !!
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