बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि !!
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि !!
अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप !!
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप !!
निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय !!
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय !!
दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार !!
तरुवर ज्यों पत्ता झड़े, बहुरि न लागे डार !!
कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर !!
ना काहू से दोस्ती,न काहू से बैर !!
धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय !!
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय !!
माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर !!
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर !!
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान !!
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान !!
दोस पराए देखि करि, चला हसन्त हसन्त !!
अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत !!
जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ !!
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ !!