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Kabir Das Ke Dohe In Hindi For Best Life Changing

संत ना छाडै संतई, जो कोटिक मिले असंत !!
चन्दन भुवंगा बैठिया, तऊ सीतलता न तजंत !!

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय !!
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय !!

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय !!
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय !!

साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय !!
सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय !!

तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय !!
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय !!

अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप !!
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप !!

कहत सुनत सब दिन गए, उरझि न सुरझ्या मन !!
कही कबीर चेत्या नहीं, अजहूँ सो पहला दिन !!

दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार !!
तरुवर ज्यों पत्ता झड़े, बहुरि न लागे डार !!

बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि !!
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि !!

हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना !!
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना !!

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