Best Kabir Das Dohe in Hindi
जिन खोजा तिन पाइया गहरे पानी पैठ !!
मैं बपुरा बूडन डरा रहा किनारे बैठ !!
दोस पराए देखि करि चला हसन्त हसन्त !!
अपने याद न आवई जिनका आदि न अंत !!
जाति न पूछो साधु की पूछ लीजिये ज्ञान !!
मोल करो तरवार का पड़ा रहन दो म्यान !!
माला फेरत जुग भया फिरा न मन का फेर !!
कर का मनका डार दे मन का मनका फेर !!
धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय !!
माली सींचे सौ घड़ा ॠतु आए फल होय !!
तिनका कबहुँ ना निन्दिये जो पाँवन तर होय !!
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े तो पीर घनेरी होय !!
साधु ऐसा चाहिए जैसा सूप सुभाय !!
सार सार को गहि रहै थोथा देई उड़ाय !!
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ पंडित भया न कोय !!
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय !!
कबीर तन पंछी भया जहां मन तहां उडी जाइ !!
जो जैसी संगती कर सो तैसा ही फल पाइ !!
जैसा भोजन खाइये तैसा ही मन होय !!
जैसा पानी पीजिये तैसी वाणी होय !!
कुटिल वचन सबतें बुरा जारि करै सब छार !!
साधु वचन जल रूप है बरसै अमृत धार !!
तन को जोगी सब करें मन को बिरला कोई !!
सब सिद्धि सहजे पाइए जे मन जोगी होइ !!
कबीर सो धन संचे जो आगे को होय !!
सीस चढ़ाए पोटली ले जात न देख्यो कोय !!
साधू भूखा भाव धन का भूखा नाहिं !!
धन का भूखा जी फिरै सो तो साधू नाहिं !!
माया मुई न मन मुआ मरी मरी गया सरीर !!
आसा त्रिसना न मुई यों कही गए कबीर !!
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