Kabir Das Ji Ke Dohe
कबीर लहरि समंद की मोती बिखरे आई !!
बगुला भेद न जानई हंसा चुनी चुनी खाई !!
संत ना छाडै संतई जो कोटिक मिले असंत !!
चन्दन भुवंगा बैठिया तऊ सीतलता न तजंत !!
जब गुण को गाहक मिले तब गुण लाख बिकाई !!
जब गुण को गाहक नहीं तब कौड़ी बदले जाई !!
माला फेरत जुग भया फिरा न मन का फेर !!
कर का मनका डार दे मन का मनका फेर !!