ऐसा कोई ना मिला हमको दे उपदेस !!
भौ सागर में डूबता कर गहि काढै केस !!
झूठे सुख को सुख कहे मानत है मन मोद !!
खलक चबैना काल का कुछ मुंह में कुछ गोद !!
हाड़ जलै ज्यूं लाकड़ी केस जलै ज्यूं घास !!
सब तन जलता देखि करि भया कबीर उदास !!
पानी केरा बुदबुदा अस मानुस की जात !!
एक दिना छिप जाएगा ज्यों तारा परभात !!
कबीर कहा गरबियो काल गहे कर केस !!
ना जाने कहाँ मारिसी कै घर कै परदेस !!
जब गुण को गाहक मिले तब गुण लाख बिकाई !!
जब गुण को गाहक नहीं तब कौड़ी बदले जाई !!
कबीर लहरि समंद की मोती बिखरे आई !!
बगुला भेद न जानई हंसा चुनी चुनी खाई !!
कहत सुनत सब दिन गए उरझि न सुरझ्या मन !!
कही कबीर चेत्या नहीं अजहूँ सो पहला दिन !!
माँगन मरण समान है मति माँगो कोई भीख !!
माँगन ते मारना भला यह सतगुरु की सीख !!
हिन्दू कहें मोहि राम पियारा तुर्क कहें रहमाना !!
आपस में दोउ लड़ी लड़ी मुए मरम न कोउ जाना !!
कबीरा खड़ा बाज़ार में मांगे सबकी खैर !!
ना काहू से दोस्ती न काहू से बैर !!
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दुर्लभ मानुष जन्म है देह न बारम्बार !!
तरुवर ज्यों पत्ता झड़े बहुरि न लागे डार !!
निंदक नियरे राखिए ऑंगन कुटी छवाय !!
बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुभाय !!
अति का भला न बोलना अति की भली न चूप !!
अति का भला न बरसना अति की भली न धूप !!
बोली एक अनमोल है जो कोई बोलै जानि !!
हिये तराजू तौलि के तब मुख बाहर आनि !!
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