स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त के लिए शायरी
मैं मुस्लिम हूँ तू हिन्दू है हैं दोनों इंसान !!
ला मैं तेरी गीता पढ़ लूँ तू पढ ले कुरान !!
अपने तो दिल में है दोस्त बस एक ही अरमान !!
एक थाली में खाना खाये सारा हिन्दुस्तान !!
संस्कार और संस्कृति की शान मिले ऐसे !!
हिन्दू मुस्लिम और हिंदुस्तान मिले ऐसे !!
हम मिलजुल के रहे ऐसे कि !!
मंदिर में अल्लाह और मस्जिद में राम बसे जैसे !!
आज मुझे फिर इस बात का गुमान हो !!
मस्जिद में भजन मंदिरों में अज़ान हो !!
खून का रंग फिर एक जैसा हो !!
तुम मनाओ दिवाली मेरे घर रमजान हो !!
दोस्ताना इतना बरकरार रखो कि !!
मजहब बीच में न आये कभी !!
तुम उसे मंदिर तक छोड़ दो !!
वो तुम्हें मस्जिद छोड़ आये कभी !!
बड़े अनमोल हे ये खून के रिश्ते !!
इनको तू बेकार न कर !!
मेरा हिस्सा भी तू ले ले मेरे भाई !!
घर के आँगन में दीवार ना कर !!
किसी गजरे की खुशबु को महकता छोड़ आया हूँ !!
मेरी नन्ही सी चिड़िया को चहकता छोड़ आया हूँ !!
मुझे छाती से अपनी तू लगा लेना ऐ भारत माँ !!
मैं अपनी माँ की बाहों को तरसता छोड़ आया हूँ !!
जय हिन्द !!
खुशनसीब हैं वो जो वतन पर मिट जाते हैं !!
मरकर भी वो लोग अमर हो जाते हैं !!
करता हूँ उन्हें सलाम ए वतन पे मिटने वालों !!
तुम्हारी हर साँस में तिरंगे का नसीब बसता है !!
लिख रहा हूं मैं अजांम जिसका कल आगाज आयेगा !!
मेरे लहू का हर एक कतरा इकंलाब लाऐगा !!
मैं रहूँ या ना रहूँ पर ये वादा है तुमसे !!
मेरा कि मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आयेगा !!
काले गोरे का भेद नहीं !!
हर दिल से हमारा नाता है !!
कुछ और ना आता हो हमको !!
हमें प्यार निभाना आता है !!
मेरे मुल्क की हिफाज़त ही मेरा फ़र्ज है !!
और मेरा मुल्क ही मेरी जान है !!
इस पर कुर्बान है मेरा सब कुछ !!
नही इससे बढ़कर मुझको अपनी जान है !!
चलो फिर से खुद को जगाते है !!
अनुशासन का डंडा फिर घूमाते है !!
सुनहरा रंग है स्वतंत्रता का शहीदों के लहू से !!
ऐसे शहीदों को हम सब सर झुकते है !!
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