इश्क़ मोहब्बत हिंदी कविता
किसी भी हाल में तुम छोड़ना हाथ मत उसका !!
किया है इश्क़ गर तुमने निभाना भी ज़रूरी है !!
सहर अब रूठना तो इश्क़ में है लाज़मी लेकिन !!
कभी महबूब गर रूठे तो मनाना भी ज़रूरी है !!
साथ कुछ पल ही सही निभाने तो आ !!
दिल लगाने न सही दुखाने तो आ !!
सुना है दर्द ने तुझसे राहत माँगी है !!
हँसाने न सही रुलाने तो आ !!
मेरी सारी कविताओं में जो मौजूद है महक !!
कुछ तो उनकी ख़ुशबू कुछ तासीर भी है !!
मिज़ाज बदल के बातें मुझसे करती हो क्यों !!
मुझसे जी भर गया है ये बताने तो आ !!
कब तलक झूठी मोहब्बत को पनाह देती रहोगी !!
घर की छोड़ मेरे अपना बसाने तो आ !!
तुझे न मुझसे न मेरी मोहब्बत से सुकूं मिलता है !!
खुशी किसमें है तेरी ये बताने तो आ !!
हाथ थाम कर भी तेरा सहारा न मिला !!
में वो लहर हूँ जिसे किनारा न मिला !!
मिल गया मुझे जो कुछ भी चाहा मैंने !!
मिला नहीं तो सिर्फ साथ तुम्हारा न मिला !!
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