Hindi poetry in Hindi
लड़की हो तुम !!
लड़की हो तुम थोड़ा लिहाज़ करो !!
लोग क्या कहेंगे आँशु पोछो चेहरा साफ़ करो !!
अगले घर जाना है तुम्हे थोड़ा तो बर्दास्त करो !!
पर लड़की को हर वक़्त सामान की तरह से !!
आंकने वालो तुम भी तो थोड़ी लिहाज़ करो !!
क्या वो औरत है तो उसे ज़ीने का अधिकार नहीं !!
क्यों उसका वेवाक घूमना जमाने तुझे स्वीकार नहीं !!
बागवान के गुलाब से दोस्ती थी !!
मतलब किसी नयाब से दोस्ती थी !!
सबके हिसाब से हममे प्यार था !!
बस उसके हिसाब से दोस्ती थी !!
मैं दुनियादारी की बाते करता !!
उसकी बस किताब से दोस्ती थी !!
आज कल किसी के फन में फन नहीं दीखता !!
सबको जुबा दिखती है पर मन नहीं दीखता !!
मैं उन् लड़कियों से जलती मुतासिर हो जाता हु !!
जिनका तस्वीरों में बदन नहीं दीखता !!
जो ये अंधे लोग काटने वाटने की बात करे !!
उन्हें बस फायदा दीखता है बदन नहीं दीखता !!
सब कहमें दो दिन में हुआ कामियां !!
इन्हे दो दिन लाने के पीछे जतन नहीं दीखता !!
खुवाईसे कंधो पर लिए हजार एक लड़का !!
कर रहा गमे समुन्दर पार एक लड़का !!
डूबती एक नाव उसकी बीच भवर में फसकर !!
कर रहा तिनके का इंतज़ार एक लड़का !!
अँधेरी रात और कमरे में बैठा एक लड़का !!
आस्क भरे नैनो में ज़िन्द्की से ऐंठा एक लड़का !!
अपनी साड़ी तमन्नाओ को एक एक करके जलाते हुए !!
बहुत देर तक रोया मुस्कुराते एक लड़का !!
सुनो नजरा अंदाज़ कर रहे हों न !!
कर लो अंदाज़ा उस दिन का भी कर लेना !!
जिस दिन हम नजर नहीं आएंगे !!
समझा ही नहीं वो कभी मेरे नजरो को !!
मैंने हर वो लव्स कह दिया !!
जिसका नाम मोहब्बत था !!
कोई था जो मेरी उदासी की भी !!
वजह पूछा करता था !!
पर जाने क्यों आज उसे !!
मेरे रोने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता!!
चेहरों नाम एक साथ !!
आज न याद आ सके !!
वक्त ने किस सबीब को !!
खाबो ख्याल कर दिया !!
मुददतो वाद उसने आज !!
मुझसे कोई गिला किया !!
मन्सबे बिल बड़ी पे क्या !!
मुझको बहाल कर दिया !!
इस क़दर प्यार की वारिश हो की जल थल हो जाऊं !!
तुम घटा बनके चले आओ मैं बादल हो जाऊं !!
घर में बैठा हु चमकते हुए सोने की तरह !!
मैं जो सराबे में आ जाऊ तो पीतल हो जाउं !!
ढूंढते ढूंढते एक उम्र गुजारी जिसको !!
वो अगर सामने आ जाए तो पागल हो जाऊं !!
मुन्तज़िर चाक पे है मेरी अधूरी मिटटी !!
तुम ज़दा हाथ लगाओ तो मुकम्बल हो जाउं !!
मेरे सनातों ने आवद रखा है मुझको !!
मैं तेरे सहर में आ जाऊं तो जंगल हो जाउ !!
बेकली से बेखुदी से कुछ नहीं होता !!
पुकारे क्यों किसी को हम किसी से कुछ नहीं होता !!
कोई जब शहर से जाए रौनक रूठ जाती है !!
किसी के शहर में मौजूदगी से कुछ नहीं होता !!
चमक यु पैदा नहीं हुयी है मेरी जान तुझमे !!
न कहना कभी तू बेरुखी से कुछ नहीं होता !!
जो बात खास है खुद को भी बताऊँ नहीं !!
मैं लुफ्त लेता रहु और मुस्कुराऊँ नहीं !!
उसे सताने का बस यही तरीका है !!
उसके दिल में राहु और समझ में आऊं नहीं !!
तुम तन्हाईयाँ बक्सों गे मुझे वो भी मंजूर है !!
बस कह देना दिल से दूर है !!
चलो धोखा ही था तुम्हारा सब इसक झूठ था !!
वो झूठ अपनी जुबां को कहने देते !!
मैं खुश थी मुझे धोखे में ही रहने देते !!
मेरी जुल्फे नाराज है की तू कहा है !!
मेरी खुशियां नाराज है की तू कहां है !!
अरसा हुआ चाँद खिला नहीं है मेरे आसमान में !!
तारो की आवाज़ है की तू कहाँ है !!
क्यों करते हो यार इतने सवाल मुझसे !!
जब इनके सारे जबाब ही तुम हो !!
तुमसे हर मुक्तसर मुलाकातों को संभाल कर रखा है !!
तुम्हारे लिए ज़ज़्बातो को मसल्सल कर रखा है !!
समझ नहीं आता तुम ख्याल से जुड़े हो या ख्याल तुमसे !!
बस यार तुमने मुझे आजकल पागल कर रखा है !!
तो क्या हुआ अगर तुम साथ नहीं हो !!
तुम्हारा ख्याल साथ तो है !!
हर बार यु ही नहीं खींचा चला आता हु तुम्हारी ओर !!
तुममे कुछ बात तो है !!
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