Inspirational Hindi Kavita
खवाब से अब ज़रा जगने लगा हूँ !!
जिंदगी को बेहतर समझने लगा हूं !!
उड़ता था शायद कभी ऊँची हवा में !!
जमीं पर अब पैदल चलने लगा हूँ !!
लफ़्ज़ों की मुझको ज़रूरत नहीं है !!
चेहरों को जब से मैं पढ़ने लगा हूँ !!
थक जाता हूं अक्सर अब शोर से !!
खामोशियों से बातें करने लगा हूँ !!
दुनियाँ की बदलती तस्वीर देख कर !!
शायद मैं कुछ कुछ बदलने लगा हूँ !!
नफ़रत के ज़हर को मिटाना ही होगा !!
इरादा यह मज़बूत करने लगा हूँ !!
कभी फूलों की तरह मत जीना !!
जिस दिन खिलोगे टूट कर बिखर जाओगे !!
जीना है तो पत्थर की तरह जियो !!
जिस दिन तराशे गए उस दिन खुदा बन जाओगे !!
किन साँसों का मैं एतबार करू !!
जो अंत में मेरा साथ छोड जाएगी !!
किन रिश्तों का मैं यहाँ आज अभिमान करूं !!
जो रिश्ते शमशान में पहुँचकर सारे टूट जाएँगे !!
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