जलाकर खुद को रोशनी फैला सको तो चलो !!
गम सह कर खुशियां बांट सको तो चलो !!
बुरा लग रहा है !!
जब से तेरी सोहबत में रह रहा है !!
बुरा लग रहा है !!
अब तुझसे थककर ये कहा हमने !!
बुरा लग रहा है !!
जिनके इसारो से मौसम के रुख बदलते थे !!
उन्ही आँखों से दरिया बह रहा है !!
आज कल किसी के फन में फन नहीं दीखता !!
सबको जुबा दिखती है पर मन नहीं दीखता !!
मैं उन् लड़कियों से जलती मुतासिर हो जाता हु !!
जिनका तस्वीरों में बदन नहीं दीखता !!
जो ये अंधे लोग काटने वाटने की बात करे !!
उन्हें बस फायदा दीखता है बदन नहीं दीखता !!
सब कहमें दो दिन में हुआ कामियां !!
इन्हे दो दिन लाने के पीछे जतन नहीं दीखता !!
खुवाईसे कंधो पर लिए हजार एक लड़का !!
कर रहा गमे समुन्दर पार एक लड़का !!
डूबती एक नाव उसकी बीच भवर में फसकर !!
कर रहा तिनके का इंतज़ार एक लड़का !!
अँधेरी रात और कमरे में बैठा एक लड़का !!
आस्क भरे नैनो में ज़िन्द्की से ऐंठा एक लड़का !!
अपनी साड़ी तमन्नाओ को एक एक करके जलाते हुए !!
बहुत देर तक रोया मुस्कुराते एक लड़का !!
आज मेरा दिल ज़ख़्मी है !!
और साँसे में मगरूरी है !!
कुछ बातें है जो बेकार है !!
लेकिन तुझे बतानी ज़रूरी है !!
काश तूने नहीं पूछा हाल मेरा !!
लेकिन तबियत मेरी अच्छी है !!
मुस्कान ज़रा सी छोटी है !!
लेकिन बाते बिलकुल सच्ची है !!
आज तुमने नहीं पूछा म !!
मैं फिर भी खाना खाया है !!
आज सुबह तेरी कॉल नहीं था !!
फिर भी मेरी माँ ने मुझे जगाया है !!
एक वक्त था जब तुम्हे कोई छू लेता !!
तो मेरा खून खौल उठता था !!
और इसलिए कई दफा मैंने इन हवाओ !!
से वैर पाला करता था !!
अरे अगर अपने हुस्न के सिवा कुछ !!
नहीं है तुम्हारे पास अगर !!
तो जा तू किसी के साथ हमविस्तर भी हो जा !!
तो मुझे कोई फर्क नहीं पडता !!
एक वक़्त था जब मैं तुमसे प्यार करता था !!
इतना गुरुर किया तूने इस मिटटी के जिस्मो पर !!
जा ये तेरा जिस्म किसी और का हो जाय !!
मुझे फर्क नहीं पड़ता !!
जब उससे बात नहीं होती न !!
तो सच में ऐसा लगता है जैस !!
सबकुछ अधूरा सा है !!
मैं जानता हु !!
अब हम साथ नहीं हो सकते !!
लेकिन पता नहीं क्यों फिर भी तुम्हारी !!
बहुत ज़रूरत है मुझे !!
और इस बात को मैं तो क्या !!
कोई भी नहीं बदल सकता है !!
तुम्हे पता है तुम क्या हो मेरे लिए !!
जैसे किसी मुसाफिर का कोई रास्ता हो !!
किसी अधूरी मोहब्बत का मुझसे कोई वास्ता हो !!
जैसे अधूरा कोई सफर था !!
मैं मुसाफिर था तुम मंजिल थी !!
और रास्ता तुम तक पहुंचने का एकदम अलग था !!
जब तुमसे बात नहीं होती न !!
तो ये फ़ोन उठाने का भी मन नहीं करता !!
आँखे थकती नहीं रोने से !!
और तुम्हे याद किये बिना कोई पल नहीं कट्टा !!
जब तुमसे बात नहीं होती न !!
तब सबकुछ अधूरा सा लगता है !!
सुनो नजरा अंदाज़ कर रहे हों न !!
कर लो अंदाज़ा उस दिन का भी कर लेना !!
जिस दिन हम नजर नहीं आएंगे !!
समझा ही नहीं वो कभी मेरे नजरो को !!
मैंने हर वो लव्स कह दिया !!
जिसका नाम मोहब्बत था !!
कोई था जो मेरी उदासी की भी !!
वजह पूछा करता था !!
पर जाने क्यों आज उसे !!
मेरे रोने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता!!
जीना सिखाए जा रहा है – हिंदी कविता !!
दिन-बदिन !!
तेरी आदत मुझको लगाए जा रहा है !!
तुझे पाया नहीं अबतक !!
तुझे खोने का डर सताए जा रहा है !!
मेरे हाथों से छीनकर !!
अपने हिसाब से जिंदगी चलाए जा रहा है !!
तेरे आने से !!
दिल मेरा !! अब उसको भुलाए जा रहा है !!
कुछ हुआ है अलग !!
तेरे आने से !! बताए जा रहा है !!
एक बार फिर से !!
मुझको जीना !! सिखाए जा रहा है !!
तेरा साथ न मिला !!
हिंदी कविता !!
हाथ थाम कर भी तेरा सहारा न मिला !!
में वो लहर हूँ जिसे किनारा न मिला !!
मिल गया मुझे जो कुछ भी चाहा मैंने !!
मिला नहीं तो सिर्फ साथ तुम्हारा न मिला !!
वैसे तो सितारों से भरा हुआ है आसमान मिला !!
मगर जो हम ढूंढ़ रहे थे वो सितारा न मिला !!
कुछ इस तरह से बदली पहर ज़िन्दगी की हमारी !!
फिर जिसको भी पुकारा वो दुबारा न मिला !!
एहसास तो हुआ उसे मगर देर बहुत हो गयी !!
उसने जब ढूँढा तो निशान भी हमारा न मिला !!
थोड़ा थक सा जाता हूं अब मै… – हिंदी कविता
“थोड़ा थक सा जाता हूं अब मै !!
इसलिए !! दूर निकलना छोड़ दिया है !!
पर ऐसा भी नही हैं कि अब !!
मैंने चलना ही छोड़ दिया है !!
फासलें अक्सर रिश्तों में !!
अजीब सी दूरियां बढ़ा देते हैं !!
पर ऐसा भी नही हैं कि अब मैंने !!
अपनों से मिलना ही छोड़ दिया है !!
हाँ जरा सा अकेला महसूस करता हूँ !!
खुद को अपनों की ही भीड़ में !!
पर ऐसा भी नहीं है कि अब मैंने !!
अपनापन ही छोड़ दिया है !!
याद तो करता हूँ मैं सभी को !!
और परवाह भी करता हूँ सब की !!
पर कितनी करता हूँ !!
बस ,बताना छोड़ दिया है !!
चलने का हौसला नहीं !!
रुकना महाल कर दिया !!
इश्क के इस सफर ने !!
तो मुझको निढाल कर दिया !!
ए मेरी गुलजामि तुझे !!
चाह थी एक किताब की !!
पहले किताब में मगर !!
क्या तेरा हाल कर दया !!
मिलते हुए दिलो के बिच !!
और था फैसला कोई !!
उसने मगर बिछड़ते वक्त !!
और सवाल कर दिया !!
अबकी हवा के साथ है !!
दामने यार मुंतजर !!
बानू ये सबके हाथ में !!
रखना संभाल कर दिया !!
मुमकीनो फैसलो में एक !!
हिज्र का फैसला भी था !!
हमने तो एक बात की !!
उसने कमाल कर दिया !!
मेरे लबो पे मोह्र थी !!
पर मेरे सिसरु ने तो !!
सहर के सहर को मेरा !!
वाक़िफ़े हाल कर दिया !!
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