आजकल मेरे आँखों को देख !!
लोग नशेबाज़ कहते हैं !!
जो लोग खुद धोखेबाज़ है !!
वो मुझे धोखेबाज़ कहते हैं !!
शेर को जगाना और हमे सुलाना !!
किसी के बस की बात नहीं !!
हम वहां खड़े होते हैं !!
जहा मैटर बड़े होते हैं !!
वक्त ने फसाया है !!
लेकिन मैं परेशान नही हूँ !!
हालातों से हार जाऊँ !!
मैं वो इंसान नही हूँ !!
आज भी हम हारी हुई !!
बाज़ी खेलना पसन्द करते हैं !!
क्योंकि हम अपनी किस्मत !!
से ज़्यादा खुद पर भरोसा करते हैं !!
औकात का पता तो वक्त !!
आने पर चलता है यारो !!
रात को गिधड कितना भी चिल्ला ले !!
सुबह को दबदबा तो शेर का ही होता है !!