चाह के भी मजबूर है हम !!
कैसे बताये उन से दूर है हम !!
उसके लिए निलाम हो गई !!
उसकी बोली लगी और मैं बीच बाज़ार उसके नाम हो गई !!
हम साँस भी उनसे पूछ के लेते थे !!
और वो किसी और के साथ हम से बिना पूछे चली गयी !!
कबूल ना हुई पर माँगा हमने !!
तुम्हें हर दुआ में है तुम्हें !!
वादे का पता नहीं लेकिन जब तक !!
ज़िंदगी रहेगी तब तक आपके साथ चलेंगे !!
तुम फिर मिलोगे पता नहीं सच कितना है !!
ये सोच खूबसूरत कितनी है !!
कहने को तो ज़िंदगी में चार चाँद और जुगनू हजार है !!
लेकिन हाथों में किताब और हम बेरोजगार है !!
इबादत के बाद भी इंतज़ार उन्ही को मिलती है !!
जिनकी पूरी होनी होती है !!
दुनिया एक रब की नहीं हुई तो !!
हमारी क्या खाख़ होगी !!
सब मेरे थे जब तक वो मेरे थे !!
जब तुम्हारी याद आती है कमाल होता है !!
कभी आ के देखो क्या बवाल होता है !!
देखते देखते उनको हम रोने लगे !!
उसकी दुआ सुनोगे तुम भी रोने लगोगे !!
वो बिलकुल चाँद की तरह निकली !!
दूर भी हो गई और गुरुर भी हो गया !!
हमें इश्क से फर्क पड़ता है !!
रंगों पर हम नहीं मरते !!
वो हक़ीक़त सी लगती है !!
ये ख्वाब भी सच लगता है !!
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