Jagannath rath yatra
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में शामिल होकर !!
जगन्नाथ जी का आशीर्वाद पायें !!
जगन्नाथ रथ यात्रा की शुभकामनाएं !!
भगवान जगन्नाथ जिनका नाम है !!
पूरी जिनका धाम है !!
ऐसे भगवान को हमारा प्रणाम है !!
जगन्नाथ रथ यात्रा की शुभकामनाएँ !!
जगन्नाथ की ज्योति से नूर मिलता है !!
सबके दिलों को सुरूर मिलता है !!
जो भी निःस्वार्थ आता है जगन्नाथ स्वामी के द्वार !!
कुछ ना कुछ उसे जरूर मिलता है !!
आप अपने जीवन में सुख और समृद्धि पाएँ !!
भगवान श्री जगन्नाथ जी की !!
रथ यात्रा की हार्दिक शुभकामनाएँ !!
जब जब होवे धर्म की हानि !!
तब तब अवतार लेवे भगवन !!
कर देवे मर्दन पापियों का !!
मुक्ति देवे हम पृथ्वी वासियों को !!
बोलो जगन्नाथ प्रभु की जय !!
चन्दन की खुशबु रेशम का हार !!
भादों की सुगंध बारिश की फ्हुहार !!
दिल की उम्मीदे अपनों का प्यार !!
मंगलमय हो आपको लार्ड जगन्नाथ का त्यौहार !!
हैप्पी जगन्नाथ रथ यात्रा !!
सूरज की किरणे !!
खुशियों की बहार !!
चन्दन की खुशबू !!
रेशम का हार !!
मुबारक हो आपको !!
भगवन जगन्नाथ का त्यौहार !!
जगन्नाथ स्वामी की ज्योति से नूर मिलता है !!
सबके दिलो को सुरूर मिलता है !!
जो भी जाता है जगन्नाथ स्वामी जी के द्वार !!
कुछ न कुछ जरूर मिलता है !!
हैप्पी रथ यात्रा !!
भगवान जगन्नाथ जिनका नाम है !!
पूरी जिनका धाम है !!
ऐसे भगवान को हमारा प्रणाम है !!
जगन्नाथ रथ यात्रा की शुभकामनाएँ !!
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में शामिल होकर !!
जगन्नाथ जी का आशीर्वाद पायें !!
जगन्नाथ रथ यात्रा की शुभकामनाएं !!
धर्म की ख़ुशबू सोने का हार !!
दिल की उम्मीदें और अपनों का प्यार !!
मिलता है सबको भगवान् जगन्नाथ जी का आशीर्वाद !!
मंगलमय हो रथ यात्रा का त्यौहार !!
जगन्नाथ की ज्योति से नूर मिलता है !!
सबके दिलों को सुरूर मिलता है !!
जो भी निःस्वार्थ आता है जगन्नाथ स्वामी के द्वार !!
कुछ ना कुछ उसे जरूर मिलता है !!
आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को है !!
निकलती जगन्नाथ जी की सवारी !!
एक बरस में आती है एक बार !!
देखने इसे उमड़ती है भीड़ भारी !!
निकलती है जगन्नाथ जी की सवारी !!
साथ रहते भाई बलभद्र चक्र सुदर्शन !!
और हैं साथ लाड़ली बहन सुभद्रा प्यारी !!
पाँव नहीं हैं छोटे से हाथ अधगढ़े-से मूरत !!
धन्य हुए भक्त देख तीनों की छवि न्यारी !!
निकलती है जगन्नाथ जी की सवारी !!
देढ़ महीने से बन रहे अद्भुत तीनों रथ !!
रोक ना सका इस कार्य को कोई महामारी !!
तालध्वज दर्पदलन और नंदिघोष पर !!
चलें हैं देखो मौसी के घर विश्व विहारी !!
निकलती है जगन्नाथ जी की सवारी !!
इसे भी पढ़े:-