शादी एक ऐसी चोट है जिस पर ज़खम !!
लगने से पहले ही हल्दी लगायी जाती है !!
मिलन है दो परिवारों का रस्म है खुशी मनाने का !!
हमें तो इंतजार है बस आपके आने का !!
हल्दी लगाने का सोचा था !!
पर चुना लगा के चली गई !!
वो मेहंदी के हाथों में क्या तराशेंगे नाम हमारा !!
जब नाम ही छुपा लिखा है उनके हाथों में !!
हल्दी लगाने का सोचा था !!
पर चुना लगा के चली गई !!
बड़ा वक़्त लगता है जल्दी से नहीं भरते !!
ये ज़ख्म दिलों के हैं हल्दी से नहीं भरते !!
तुझ बिन क्या जीना जीना तेरे संग !!
न जाने कब लगेगा इन हाथों में हल्दी का रंग !!
हल्दी मेरा एक काम में बस थोड़ा साथ देदे !!
पीले हो रहें मेरी बहन के हाँथ बस उसे तू अपनी दुआ देदे !!
रोज़ देख सकूं उसे ऐसा मेरा जी करता है !!
उसका चेहरा मेरे लिए आज भी हल्दी का काम करता है !!
हल्दी लगाने की उम्र है मेरी !!
लड़कियां चुना लगा कर जा रही है !!
तुमने कहा था हल्दी लगाओ जख्म भर जाएगा !!
ये तो बताओ दिल के जख्मों को कैसे भरूँ !!
उसका दिल लगता है लाल ग़ुलाब न रहा !!
उस दिल पर मेरे इश्क़ की हल्दी चढ़ि है शायद !!
नन्हे नन्हे पांव हमारे कैसे आए बुलाने को !!
मेरे बुआ की शादी में भूल न जाना आने को !!
सु-र्ख़रू होता है इंसाँ ठोकरें खाने के !!
बाद रंग लाती है हिना पत्थर पे !!
वो छा गये है कोहरे की तरह मेरे चारों तरफ !!
न कोई दूसरा दिखता है ना देखने की चाहत है !!
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