दोस्ती का फर्ज शायरी 2 लाइन
यार,मैं तुझसे कभी !!
जुदा ना होना चाहूंगा !!
तेरी मोहब्बत का फर्ज !!
हमेशा निभाना चाहूंगा !!
हक़ तो हमसे हमारे !!
जमाने ने छीन लिए !!
कमबख्त के ये लोग !!
फर्ज़ याद दिलाते हैं !!
इश्क का फर्ज निभाना !!
आसान नहीं होता !!
बेवफाई का दर्द सहना !!
आसान नहीं होता !!
बेवफाई भी हो तो खुद !!
निभा लूंगा मैं अपना फर्ज !!
या खुदा,मेरे यार की !!
खुशी का करता हूं मैं अर्ज !!
तुझे किसी और के साथ !!
विदा करना मेरा फर्ज़ तो नहीं था !!
फिर भी अपना हक छोड़कर !!
मैंने यह फर्ज़ अदा किया !!
मेरा फर्ज बनता की !!
उसे नई लिपस्टिक ला दूं !!
मैं ही तो उसे बार बार !!
खराब करने लग जाता हूं !!
तनहाई में अपने !!
आप से मिलना पड़ेगा !!
फर्ज निभाते हुए !!
दर्द भी झेलना पड़ेगा !!
मोहब्बत में साथ !!
देना फर्ज़ होता है !!
मोहब्बत करना कभी !!
फर्ज नहीं होता हैं !!
दिल पर जो है कर्ज !!
उतारना चाहता हूं !!
अपने प्यार का फर्ज !!
निभाना चाहता हूं !!
वादे के लिए जान भी !!
चली जाए तो गम नहीं !!
और अपने फर्ज के लिए !!
वादा टूट जाए तो डर नहीं !!
प्यार को ठुकराते है !!
न जाने क्यों ,इश्क़ में फर्ज !!
निभाने से मुकरते है !!
अक्सर आशिक सच्चे !!
प्यार को ठुकराते है !!
न जाने क्यों,इश्क़ में फर्ज !!
निभाने से मुकरते है !!
इंसान कितना भी !!
अमीर क्यों ना हो जाए !!
उसे इंसानियत का फर्ज़ !!
भूलना नहीं चाहिए !!
दिल में दर्द का,छुपा ही !!
सही मगर जज्बात हो !!
इश्क करने वालों में हमेशा !!
फर्ज का एहसास हो !!
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