dosti ka farz shayari
लोग हर बात का अफ़्साना बना देते हैं !!
ये तो दुनिया है मिरी जाँ कई दुश्मन कई दोस्त !!
किसे ख़बर वो मोहब्बत थी या रक़ाबत थी !!
बहुत से लोग तुझे देख कर हमारे हुए !!
क्या लोग थे कि जान से बढ़ कर अज़ीज़ थे !!
अब दिल से महव नाम भी अक्सर के हो गए !!
फर्ज,कहानी अपनी कहता ही रहेगा !!
यादों के साथ हमेशा बहता ही रहेगा !!
भले ही एक दूसरे को सताते रहो !!
प्यार का फर्ज लेकिन निभाते रहो !!
निभाएगा फर्ज तू यही आस है !!
दिल को आज भी तेरी प्यास है !!
दरमियाँ अपने अनकहे फर्ज निभाते है !!
दुनिया में वो ही सच्चे आशिक कहलाते है !!
तेरी मोहब्बत का मुझ पर कर्ज है !!
तेरा साथ देना ही अब मेरा फर्ज है !!
उसे होता है सबसे ज्यादा दर्द !!
जो निभाता है प्यार में फर्ज !!
हर फर्ज़ अदा होता है !!
जब दिल साफ होता है !!
दिल में जगाए रखना दर्द का जमाना !!
खुशियों में अपने फर्ज को ना भुलाना !!
दुश्मनी को दिल से जुदा करो !!
अपने फ़र्ज को तुम अदा करो !!
किसी की मदद करने में क्यों हर्ज है !!
ये तो इंसानियत के रिश्ते का फर्ज है !!
वतन के प्रति अपना फर्ज इस तरह निभाता हूँ !!
बस ईमानदारी से अपनी रोजी-रोटी कमाता हूँ !!
दर्द तो अकेले ही सहते हैं सभी !!
भीड़ तो बस फर्ज अदा करती है !!
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