Dabang shayari
अकेला खुश हु देख ली मैंने !!
दोगली यारी !!
नाराज़ हुए बैठी है हमसे जिसे !!
लोग किस्मत कहते हैं !!
मुझे अपनी हद में रहना पसंद है !!
लोग इसे अपना गुरुर समझते हैं !!
सीधी सी बात और सीधा सा जवाब !!
मैं बत्तमीज़ और मेरा आदत ख़राब !!
बस इतना बताना था मेरी जान !!
राजा बिना रानी का राजा ही होता है !!
अब हम दूर से बैठकर तेरी !!
औकाद देखेंगे !!
दुनिया हमसे बेहतर है आप !!
दुनिया रख लीजिये !!
हर चुतियो को अपना और हर !!
अपने को चुटिया मत समझो !!
इज्जत मेटर करती है ज़नाब !!
फ्लावर तो मिया खलीफा के भी हैं !!
हमारी तरह पैसा तो हर कोई !!
कमा सकता है उडा के दिखाओ !!
गुरुर मत करो एक दिन !!
सब खाक होगा !!
लोग वैसे नहीं होते जैसा !!
status लगाते हैं !!
मौषम से सीखा है हमने वक़्त पे !!
बदलना ज़रूरी है !!
मार्किट में ज़दा धीरे से आएंगे !!
जब भी आएंगे तबाही मचाएंगे !!
जिस दिन हमने सराफत छोड़ दी !!
उस दिन तुम वकील ढूंढता फिरेगा !!
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