Dabang shayari hindi mai
खुद की प्लेट में जो खाने आते है !!
प्रेम से खा दूसरे के जूठे खाने !!
से मुहं में छाले पर जाते हैं !!
मेरी टीचर ने कहा था तुझे नौकरी !!
नहीं होगी अब लगता है उसने सही !!
कहा था क्योकि मैं खुद का साम्राज्य !!
खड़ा कर रहा हु !!
मन तुम्हे जलाना अच्छा लगता है !!
लेकिन मुझे इग्नोर करना बहुत अच्छा !!
लगता है !!
अखवार वाले ने अखवार में एक !!
बात लगा दी फलाने की छोडे !!
ने आग लगा दी !!
सर पे बिठा रखा था एक लैला को !!
हमने उसने आँखे क्या दिखाई !!
हमने फेक दिया !!
बस इतना ही कहूंगा अंत में !!
सराफत छोड़ दी संत ने !!
हर उस घर में मिठाई जाएगी !!
जहां से आवाज़ आयी थी तू नहीं !!
कर सकता है !!
शहर से तो गुजरेंगे जरूर तुझे !!
झांट याद नहीं करेंगे !!
खुदा खासते अगर रावता हो भी गया !!
फिर भी बात तक नहीं करेंगे !!
अभी तो शुरुआत की है इस सफर की !!
abhi तो हमे अपने असली अंदाज़ में आना है !!
अभी इस शहर में कुछ दीवाने है मेरे !!
मुझे इस पुरे शहर को अपना दीवाना बनाना है !!
कल भी खुद पर यकीं था आज भी !!
खुद पर यकींन है !!
मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कौन !!
कितने पानी में है !!
मेरी इच्छा होगी जो करूँगा !!
कोई ज़रूरत नहीं है तेरे राय की !!
भाई की धमकी किसी और को देना !!
बरना फील्डिंग लगवा देंगे तेरे भाई की !!
जब काफिला ही ख़तम कर दिया !!
तो अकेले का क्या करूँगा !!
जब उस्ताज़ की इतनी बड़ी फारि है !!
तो चेले का क्या करूँगा !!
क्या कॉपी कॉपी लगा राखी है क्या !!
अब इस बात का पर्चे बंटेगा !!
प्यार से समझा रहा हु साँझ जा !!
बरना एक रपट में धरती चाटेगा !!
भीड़ लग गयी महफ़िल में सड़क !!
का चौराहा जाम कर दिया !!
मेरे बाप को फ़िकर थी की क्या कडेगा लड़का !!
छोटी सी उमर में बाप का नाम कर दिया !!
हम बादशाह हैं हम उनमे से हैं !!
जो पत्ता बदल दे ताश का !!
तेरे डेट बॉडी को समंदर में फेक देंगे !!
पुलिस प्रशासन भी न ढूंढ पायेगा तेरे लाश का !!
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