Dabang shayari
खुद के बारे में भी सोचा करो थोड़ा !!
हैसियत के इस दौर में खैरियत !!
कोई नहीं पूछता !!
निवेदन है की कोई घर से बाहर न !!
निकले क्योकि हम जंगल से बाहर !!
आ चुके हैं !!
किसी का अहसान नहीं है हम पर !!
जितनी भी पहचान है खुद !!
के दम पर है !!
मतलब की दुनिया है अपने !!
दम पर रहोगे तो बादशाह !!
कहलाओगे !!
पुरे दुनिया बिलंन मान चुकी है !!
तो लोगो की नजरो में हीरो बनने !!
का भी सौक नहीं है मुझे !!
मेरा विश्वास टूटने मत देना !!
नहीं तो तुझे और तेरा नखड़ा !!
दोनों को उठा लूंगा !!
तू राजी है इसीलिए चुप हु !!
ज़माना बिच में आएगा तो !!
मोहब्बत खुनी हो जायेगा !!
तुम खेल तो अच्छा रहे थे !!
लेकिन मेरी जान तुमने बंदा !!
गलता चुन लिया !!
जब चाहे आज़मा लेना मुझे !!
मैं बुरा वक़्त देख के रंग !!
नहीं बदलता !!
किसी के पीछे एक लिमिट तक ही !!
भागना प्यार कितंना भी कभी !!
प्यार की भीख मत मांगना !!
जैसे ही हमारा काफिला जेल से !!
बाहर आता है शहर में उसी वक़्त !!
कर्फ्यू घोषित हो जाता है !!
जो लड़की आज तुझे सीक्रेट पिने !!
से रोक रही है वही लड़की तुम्हारे !!
शराब पिने की वजह बन जाएगी !!
वारदात करना पड़ता है दोस्त !!
बदमाश लिखने से कोई बदमाश !!
नहीं बन सकता !!
उसी शहर को जाम करना है !!
एक दिन जिस शहर में नाम !!
चलता है तुम्हारा !!
हम क्यों अफ़सोस करे की हमे !!
कोई न मिला अफ़सोस तो वो करे !!
जिसे हम न मिले !!
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