Political shayari bjp
मैं अपनी आँख पर चशमाँ चढ़ा कर देखता हूँ !!
हुनर ज़ितना हैं सारा आजमा कर देखता हूँ !!
नजर उतना ही आता हैं की ज़ितना वो दिखाता है !!
मैं छोटा हू मगर हर बार कद अपना बढ़ा कर देखता हूँ !!
सभी एक जैसा ही लिखते हैं !!
बस मतलब बदल जाते हैं !!
सरकारे वैसे ही चलती हैं !!
बस वजीर एआजम बदल जाते हैं !!
सियासत की रंगत में ना डूबो इतना !!
कि वीरों की शहादत भी नजर ना आए !!
जरा सा याद कर लो अपने वायदे जुबान को !!
गर तुम्हे अपनी जुबां का कहा याद आए !!
न मस्जिद को जानते हैं !!
न शिवालो को जानते हैं !!
जो भूखे पेट हैं !!
वो सिर्फ निवालों को जानते हैं !!
क्या खोया क्या पाया जग में !!
मिलते और बिछुड़ते मग में !!
मुझे किसी से नही शिकायत !!
यद्यपि छला गया पग-पग में !!
सवाल जहर का नहीं था !!
वो तो मैं पी गया !!
तकलीफ लोगों को तब हुई !!
जब मैं फिर भी जी गया !!
हमारी रहनुमाओ में !!
भला इतना गुमां कैसे !!
हमारे जागने से !!
नींद में उनकी खलल कैसे !!
इस नदी की धार में !!
ठंडी हवा तो आती हैं !!
नाव जर्जर ही सही !!
लहरों से टकराती तो हैं !!
ये संग दिलो की दुनिया हैं !!
संभल कर चलना ग़ालिब !!
यहाँ पलको पर बिठाते हैं !!
नजरो से गिराने के लिए !!
जो धरापुत्र का वध कर दे !!
वह राजपुरूष नाकारा हैं !!
जिस धरती पर किसान का रक्त गिरे !!
उसका शासक हत्यारा हैं !!
चंद चेहरे लगेंगे अपने से !!
खुद को पर बेकरार मत करना !!
आखरिश दिल्लगी लगी दिल पर !!
हम न कहते थे प्यार मत करना !!
काजल के पर्वत पर चढ़ना !!
और चढ़ कर पार उतरना !!
बहुत कठिन हैं !!
निष्कलंक रह करके ये सब करना !!
अगर तू दोस्त हैं !!
तो फिर ये खंजर क्यूँ हैं हाथो में !!
अगर दुश्मन हैं !!
तो आख़िर मेरा सिर क्यूँ नही जाता !!
लहरों को खामोश देखकर यह न समझना कि !!
समंदर में रवानी नही हैं !!
हम जब भी उठेंगे तूफ़ान बन कर उठेंगे !!
बस उठने की अभी ठानी नही हैं !!
मैं तो इस वास्ते चुप हूँ !!
कि तमाशा न बने !!
और तू समझता हैं मुझे !!
तुझसे गिला कुछ भी नही !!
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