Berukhi shayari 2 lines
जख्म तो कई दिए जिंदगी ने मुझे लेकिन !!
उतना दर्द ना हुआ जितना दर्द तेरी बेरुखी ने दिया !!
पहले सी बात न थी,इश्क अब फीका था !!
अभी-अभी उन्होंने नजरअंदाजी का हुनर सीखा था !!
सुकून-ए-दिल को नसीब तेरी बेरुखी ही सही !!
हमारे दरमियाँ कुछ तो रहेगा चाहे फ़ासला ही सही !!
काश तुझे मेरी जरूरत हो मेरी तरह !!
और मैं तुझे नज़रअंदाज करूँ तेरी तरह !!
तुम्हारी बेरूखी के बाद खुद से भी बेरूखी सी हो गई !!
मैं जिन्दगी से और जिन्दगी मुझसे अजनबी सी हो गई
आदत हमारी कुछ इस तरह हो गई !!
उनकी बेरूखी से भी मुहब्बत हो गई !!
बहुत दर्द होता है जब आपको वो इंसान इग्नोर करें !!
जिसके लिए आप पूरी दुनिया को इग्नोर करते हैं !!
तेरी बेरूखी को भी रूतबा दिया हमने !!
प्यार का हर फ़र्ज अदा किया हमने !!
मत सोच कि हम भूल गयें है तुझे !!
आज भी खुदा से पहले तुझे याद किया हमने !!
अब गिला क्या करना उनकी !!
बेरुखी का दिल ही तो था भर गया होगा !!
अब कैसे समझाऊ इस दिल को !!
की अब वो वापस लौटकर नहीं आने वाले !!
पहाड़ियों की तरह खामोश है आज के संबंध और !!
रिश्ते जब तक हम न पुकारे उधर से आवाज ही नहीं आती !!
तेरी बेरुखी ने ये क्या कर दिया है !!
भीड़ में होते हुऐ भी तनहा कर दीया है !!
रिश्ता हम दोनो का जिंदगी भर निभाऊंगा !!
तेरी बेरुखी को मैं प्यार से तोड़ दूंगा !!
ये शाम भी आज बेरुख सी दिख रही है !!
तेरी आंखों में भी उदासी दिख रही है !!
हमें लगा आपको मोहब्बत है हमारी बातों से !!
पर आपकी चाह हमारी बेरुखी थी !!
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