Berukhi shayari
अब शिकायत क्या कर उनकी बेरुखी पर !!
शायद कभी उनको हम से प्यार ही ना था !!
वो हमसे खफा बैठे हैं क्योंकि !!
गलती से वो किसी ओर की बातो में आ बैठे है !!
उसकी बेरूखी ने छीन ली मेरी शरारतें !!
लोग समझते है सुधर गया हूँ मैं !!
इस दिल को आखिरकार कुछ तो मिला !!
तेरी महोब्बत ना सही लेकिन तेरी बेरुखी का हिस्सा तो बना !!
उनकी बेरुखी हमसे कुछ इस कद्र बढ़ गयी है !!
की हमारा चेहरा तक देखने की उनकी मर्जी नहीं है !!
नजरअंदाज तो वो हमें कुछ इस तरह कर रहे है !!
जैसी की वो हमें बिलकुल भी ना जानते हो !!
उनकी बेरुखी हमें इतना दर्द दे रही हैं !!
की इस दर्द को सहने की क्षमता हमसे झिल नहीं रही है !!
गलती किसी और की लेकिन नाराज हमसे हुए बैठे है !!
मिलना तो दूर की बात हमारा फ़ोन तक नहीं उठा रहे है !!
उनसे कुछ इस कद्र महोब्बत हो गयी हैं !!
की उनकी बेरुखी भी हमें अच्छी लगने लगी है !!
इस दिल को तब सबसे ज्यादा दर्द होता है !!
जब कोई अपना ही इसे इग्नोर करता है !!
उनकी बेरुखी ने हमें इतना सताया है !!
की हर दिन हमने अपना तन्हा ही बिताया है !!
तेरी यादो का सिलसिला कभी ख़त्म ना होगा !!
तेरे जाने के बाद अब इस दिल को फिर किसी से इश्क़ ना होगा !!
काश एक बार मेरी बात समझ लेती वो !!
उसकी बेरुखी आज मेरे लिए इतनी बड़ी सजा ना बनती !!
कब जान से अनजान हो गए !!
उनकी बेरुखी के हम कुछ इस कद्र शिकार हो गए !!
वो रूठे है हमसे कुछ ऐसे !!
की अब दोबारा नहीं मिलना चाहते वो हमसे !!
इसे भी पढ़े:-