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खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले !!
खुदा बंदे से खुद पूछे बत तेरी रजा क्या है !!
अपनी मांग को इस तरह बुलंद बना !!
फिर खुदा तलाश में तुझे वो रोज़गार देगा !!
हद है नाराज़गी की उस से आगे बढ़ जाओ !!
तूफ़ानों में खड़ा हो जाएगा तू अगर इरादा तुझे !!
जो खुदा की तरह दुनिया में रहना चाहता है !!
वो खुदा का आलम बना देता है !!
है मौत तो लकीरें मिट जाएँगी !!
मैं हूँ अकेला मेरा सफर एक आबरू बन जाएगा !!
सितारों से आगे जहां और भी हैं !!
अबहीश्त की इनतेहा कहां और भी हैं !!
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है !!
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा !!
रूह फना होगी बदन बिना गर्मी-ए-हयात !!
मौत से बेहतर है नाम ओ निस्यान का काम !!
ज़िन्दगी से है गिला पर तेरे इंसान होने से भी !!
ये ज़िन्दगी नहीं आई रुहानी होने से भी !!
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं !!
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतज़ार देख !!
Love Story Shayari in Hindi | बेस्ट लव हिंदी शायरी इन हिंदी
Allama Iqbal Shayari in Hindi
आँख जो कुछ देखती है लब पे आ सकता नहीं !!
महव ए हैरत हूँ कि दुनिया क्या से क्या हो जाएगी !!
और भी कर देता है दर्द में इज़ाफ़ा !!
तेरे होते हुए गैरों का दिलासा देना !!
हमने तन्हाई को अपना बना रक्खा !!
राख के ढ़ेर ने शोलो को दबा रक्खा है !!
दिल से जो बात निकलती है असर रखती है !!
पर नहीं ताक़त ए परवाज़ मगर रखती है !!
न रख उम्मीद इ वफ़ा किसी परिंदे से इकबाल !!
जब पर निकल आते है तोह अपना आशियाना भूल जाते हैं !!
ग़ुलामी में न काम आती हैं शमशीरें न तदबीरें !!
जो हो ज़ौक़ ए यक़ीं पैदा तो कट जाती हैं ज़ंजीरें !!
मुझे इश्क के पर लगा कर उड़ा !!
मेरी खाक जुगनू बना के उड़ा !!
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं !!
तू मेरा शौक़ देख मेरा इंतज़ार देख !!
आँख जो कुछ देखती है लब पे आ सकता नहीं !!
महव-ए-हैरत हूँ कि दुनिया क्या से क्या हो जाएगी !!
अंदाज़-ए-बयाँ गरचे बहुत शोख़ नहीं है !!
शायद कि उतर जाए तिरे दिल में मिरी बात !!
Allama Iqbal Shayari
ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को !!
कि मैं आप का सामना चाहता हूँ !!
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले !!
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बत तेरी रज़ा क्या है !!
हर इंसान की शान होती है उसके इरादों की !!
उसके दिल की मुहर होती है उसकी ख्वाहिशों की !!
खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तقदीर से पहले !!
खुदा बंदे से खुद पूछे बत तेरी रज़ा क्या है !!
ज़िंदगी शायद दो दिन की हो लेकिन हर दिन ख़ुदा है !!
दिल जो तेरी आँखों में है वो तेरे होंठों पर मुस्का है !!
दर्द मंज़िलों का अरमाँ रहा दर्द का नाम पहचान रहा !!
दर्द की मौद में फिर क्या दर्द दर्द ही से खुदा ने तबीब बुलाया है !!
अगर तू निकला है गली में ख़ुदा की ख़ुदाई नहीं देखी !!
अदमी है बस नामवर असल महलों में तो वो देखता ही नहीं !!
ख़ुदी को कर बुलंद इतना के हर तक़दीर से पहले !!
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है !!
दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब !!
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो !!
तेरे आज़ाद बंदों की न ये दुनिया न वो दुनिया !!
यहाँ मरने की पाबंदी वहाँ जीने की पाबंदी !!
Allama iqbal shayari
इश्क कातिल से भी मकबूल से हमदर्दी भी !!
यह बता किससे मोहब्बत की जजा मांगेगा !!
अनोखी वजह है सारे ज़माने से निराले हैं !!
ये आशिक़ कौन सी बस्ती के या-रब रहने वाले हैं !!
तू ने ये क्या ग़ज़ब किया मुझ को भी फ़ाश कर दिया !!
मैं ही तो एक राज़ था सीना ए काएनात में !!
तेरा इमाम बे-हुज़ूर तेरी नमाज़ बे-सुरूर !!
ऐसी नमाज़ से गुज़र ऐसे इमाम से गुज़र !!
निकलो निकलो मेरे सदियों से आवाज़ों के धब्बे से !!
जब तक सुराज छिपे न रहे तब तक दफ़न करो उन्हें !!
खुदा की निकम्मी लोगों को कभी तक़दीर नहीं मिलती !!
उन्हें ख़ुदा तक़दीर देता है जिनकी ताक़दीर में तक़दीर हो !!
तू शाहीन है परवाज़ का इलम है तेरा !!
तेरे सामने आसमान और भी हैं !!
खुद बीना बाज़ार जवान होने का ऐ मोमिन !!
अपना हिस्सा दूसरों को देने का इरादा रख !!
किसी की याद ने जख्मों से भर दिया है सीना !!
अब हर एक सांस पर शक है के आखरी होगी !!
बातिल से दबने वाले ऐ आसमाँ नहीं हम !!
सौ बार कर चुका है तू इम्तिहाँ हमारा !!
Allama iqbal shayari in hindi
मैं रो रो के कहने लगा दर्द-ए-दिल !!
वो मुंह फेर कर मुस्कुराने लगे !!
कौन रखेगा याद हमें इस दौर ए खुदगर्जी में !!
हालत ऐसी है की लोगों को खुदा याद नहीं !!
नशा पिला के गिराना तो सब को आता है !!
मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी !!
मिटा दे अपनी हस्ती को गर कुछ मर्तबा चाहिए !!
कि दाना खाक में मिलकर गुले-गुलजार होता है !!
सजदों के इवज़ फ़िरदौस मिले ये बात मुझे मंज़ूर नहीं !!
बे लौस़ इबादत करता हूँ बंदा हूँ तेरा मज़दूर नहीं !!
तेरे आज़ाद बंदों की न ये दुनिया न वो दुनिया !!
यहाँ मरने की पाबंदी वहाँ जीने की पाबंदी !!
यूँ तो ख़ुदा से माँगने जन्नत गया था मैं !!
करबो बला को देख कर निय्यत बदल गयी !!
और भी कर देता है दर्द में इज़ाफ़ा !!
तेरे होते हुए गैरों का दिलासा देना !!
बे-ख़तर कूद पड़ा आतिश ए नमरूद में इश्क़ !!
अक़्ल है महव ए तमाशा ए लब ए बाम अभी !!
सुबह को बाग़ में शबनम पड़ती है फ़क़त इसलिए !!
के पत्ता पत्ता करे तेरा ज़िक्र बा वजू हो कर !!
2 Line Status in Hindi | दो लाइन स्टेटस
Allama iqbal ki shayari
हमने तन्हाई को अपना बना रक्खा !!
राख के ढ़ेर ने शोलो को दबा रक्खा है !!
दिल से जो बात निकलती है असर रखती है !!
पर नहीं ताक़त ए परवाज़ मगर रखती है !!
मेरे बचपन के दिन भी क्या ख़ूब थे इक़बाल !!
बेनमाज़ी भी था और बेगुनाह भी !!
दिल से जो बात निकलती है अस़र रखती है !!
पर नहीं ताक़ते परवाज़ मगर रखती है !!
जफ़ा जो इश्क़ में होती है वो जफ़ा ही नहीं !!
सितम न हो तो मोहब्बत में कुछ मज़ा ही नहीं !!
नशा पिला कर गिराना तो सब को आता है !!
मज़ा तो जब है के गिरतों को थाम ले साक़ी !!
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले !!
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है !!
यक़ीं मोहकम अमल पैहम मोहब्बत फ़ातेह ए आलम !!
जिहाद-ए-ज़िंदगानी में हैं ये मर्दों की शमशीरें !!
खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले !!
खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है !!
तुम्हारी दुनिया में होने से तो खुशी का तारा जगमगाता है !!
यह दुनिया तुम्हारी आँखों के तारे से रौशन होती है !!
Iqbal ki shayari
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि ख़ुदा ख़य़र करे बंदगी !!
तेरी रजा क्या है ये आफ़सोस-ओ-ख़ौफ़ है सुलूक में !!
नशा पिला के गिराना तो सब को आता है !!
मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी !!
तेरा इमाम बे-हुज़ूर तेरी नमाज़ बे-सुरूर !!
ऐसी नमाज़ से गुज़र ऐसे इमाम से गुज़र !!
दिल में ख़ुदा का होना लाज़िम है इक़बाल !!
सजदों में पड़े रहने से जन्नत नहीं मिलती !!
दिल पाक नहीं तो पाक हो सकता नहीं इंसाँ !!
वरना इबलीस को भी आते थे वुज़ू के फ़रायज़ बहुत !!
दिलों की इमारतों में कहीं बंदगी नहीं !!
पत्थर की मस्जिदों में ख़ुदा ढूँढते हैं लोग !!
कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में !!
कि हज़ारों सज्दे तड़प रहे हैं मिरी जबीन-ए-नियाज़ में !!
ख़ुदावंदा ये तेरे सादा-दिल बंदे किधर जाएँ !!
कि दरवेशी भी अय्यारी है सुल्तानी भी अय्यारी !!
अपने मन में डूब कर पा जा सुराग़-ए-ज़ि़ंदगी !!
तू अगर मेरा नहीं बनता न बन अपना तो बन !!
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले !!
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है !!
Allama iqbal ki shayari
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं !!
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख !!
न पूछो मुझ से लज़्ज़त ख़ानमाँ-बर्बाद रहने की !!
नशेमन सैकड़ों मैं ने बना कर फूँक डाले हैं !!
उरूज-ए-आदम-ए-ख़ाकी से अंजुम सहमे जाते हैं !!
कि ये टूटा हुआ तारा मह-ए-कामिल न बन जाए !!
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है !!
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा !!
अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल !!
लेकिन कभी-कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे !!
दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब !!
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो !!
खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तقदीर से पहले !!
खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है !!
हैं और भी दुनिया में सुखनवर बहुत अच्छे !!
कौमों के आज़माने में वक़्त न गुज़रा रूख़ के रुख़ के !!
ज़िंदगी किसी नाम के सहारे की तरह होती है !!
जिसके बिना मुश्किलें कभी आसान नहीं होती !!
तू इश्क़ की राह में इटना लूट जा !!
के ख़ुदा भी पूछे अब तो मेरी तरह है ये !!
Iqbal ki shayari
खुदा से माना बंदगी में वो बात नहीं अब !!
अल्लाह से दरिया में वो दिलफ़रेब बात नहीं अब !!
हदसे गुज़र क्यों न जाए हम !!
गर वक़्त रुक जाए हम !!
ज़िन्दगी के राह में आगर हम खुद को बढ़ाते नहीं !!
तो खुदा बहुत खुद हमारे रास्ते में आते नहीं !!
आप ख़ुद अपनी ताक़द से बड़े हैं !!
आप आज़माने से बड़े हैं !!
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा !!
हम बुलबुलें हैं इसकी यह गुलिस्ताँ हमारा !!
खुदी को कर बुलन्द इतना कि हर तकदीर से पहले !!
खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है !!
हया नहीं है ज़माने की आँख में बाक़ी !!
ख़ुदा करे कि जवानी तिरी रहे बे-दाग़ !!
जफा जो इश्क में होती है वह जफा ही नहीं !!
सितम न हो तो मुहब्बत में कुछ मजा ही नहीं !!
ढूंढता रहता हूं ऐ इकबाल अपने आप को !!
आप ही गोया मुसाफिर आप ही मंजिल हूं मैं !!
दिल की बस्ती अजीब बस्ती है !!
लूटने वाले को तरसती है !!
Hindi poetry on life | मानव जीवन पर कविता
Allama iqbal sher
मिटा दे अपनी हस्ती को गर कुछ मर्तबा चाहिए !!
कि दाना खाक में मिलकर गुले-गुलजार होता है !!
मुझे रोकेगा तू ऐ नाखुदा क्या गर्क होने से !!
कि जिसे डूबना हो डूब जाते हैं सफीनों में !!
खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले !!
खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है !!
बसेरा है उसकी मांधड़ से उच्च कहां है !!
दरिया नहीं जिसकी बात हो जी उस दरिया से है !!
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले
खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है !!
ज़िंदगी से हार जाने के बाद भी !!
तू जिन्दगी से हार नहीं सकता !!
न मेरी रूख से अदा हो गयी शिकस्त की लगन !!
न मेरी तरफ़ से गया ग़म उसको गवार क्यों हो !!
तू इश्क़ की अंधाधुंध बातें करता है !!
इंसानीत की इज़्ज़त का सवाल है !!
जब करते हैं इश्क़ को हवस की बातें !!
तो फिर ज़िन्दगी को कैसे मिलेगा ख़ुदा !!
अपने दिल में खुदा रखो !!
इस से बड़ी इबादत कोई नहीं !!
Allama iqbal ke asar
उठ कर निकल लें दुनिया से तो क्या ग़म है !!
ज़िंदगी का अख़िरी मोड़ है मौत क्या ग़म है !!
खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले !!
खुदा बंदे से खुद पूछे बत तेरी रजा क्या है !!
हजारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती है !!
बरीसों के हो तमन्ने उसकी की खाक में वो ही सुब्ख़़ सर हो !!
जब तक इस जहां में सितारे फिरते रहेंगे !!
तब तक तुझपे ग़म की बारिशों का इल्ज़ाम नहीं !!
बुलंदी है वो हौसला जो बिक जाएगा मिट्टी में !!
वक़्त के साथ उसका इम्तिहान हो जाएगा मिट्टी में !!
खुदा की रहमत से न हो सका तो कुछ भी न हो सका !!
अपने इरादों की इनतेहा और भी होती अगर तू होता !!
खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तقदीर से पहले !!
खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है !!
बिजली जब बूढ़ी हो तो दहलती है दीवार को !!
बर्फ जब पिघलती है तो बहार आती है बाज़ार को !!
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है !!
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदवार को !!
जो बातें दिल की लबों से निकलती हैं !!
वो दिल के लबों पर आ कर रुक जाती हैं !!
Iqbal shayari
खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले !!
खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है !!
है नदर के सहिल पर इक गुलजार हम !!
खाक में क्या सूरतें होंगी किया गूंथा हमने !!
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले !!
खुदा बंदे से ख़ुद पूछे बत तेरी रजा क्या है !!
निज़ाम-ए-आलम में ये शोर-ओ-गुल किस के लिए है !!
जो इन हसरतों से कश्मकश करता है मेरा दिल !!
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले !!
खुदा बंदे से ख़ुद पूछे बत तेरी रजा क्या है !!
हज़ारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती है !!
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदवारी पे !!
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले !!
ख़ुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है !!
है तूम्हें मिर्ग़ी क़रीब से पसे नहीं बहुत कुछ दूर से !!
है तूम्हारी तसव्वुर से नज़र में ग़ारिब क्या है !!
हद-ए-निगाह को किये आईने पे पेश !!
तस्वीर तेरी देख लूँ तो आजाद हो जाऊँ !!
जिन्दगी तूफ़ान है बिचड़ना कैसे ज़रूरी है !!
मरना भी है तो लुटकर जी जिन्दगी जीने कैसे ज़रूरी है !!
Allama iqbal shayari
खुदी को बरबाद करने जावो खुदी को इज़्ज़त से बचाओ !!
यही है आज़ादी की राह यही है इन्सानीत की राह !!
खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले !!
खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है !!
तू शमा है तो याद रख ये शमा किस काम की है !!
लोगों के काम आने वाली तूफानों में जलती है !!
हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है !!
बाद मुदामत फिर हकीम-ए-शर्यार होता है !!
तुझे मिलेगा तू इक दिन जवानों की तरह वतन !!
मेरी तो किस्मत थोड़ी और ही भाग्यशाली होती है !!
खुदी को आजमा रहे हैं साजिदा-ए-ख़ुदा के साथ !!
जुदा तो होते ख़ुदा से भी जब दिन कायम होता है !!
खुदा के बन्दे तो हैं हजारों बनो में फिरते हैं मारे-मारे !!
मैं उसका बन्दा बनूंगा जिसको खुदा के बन्दों से प्यार होगा !!
सितारों से आगे जहां और भी हैं !!
अभी इश्क के इम्तिहां और भी हैं !!
सख्तियां करता हूं दिल पर गैर से गाफिल हूं मैं !!
हाय क्या अच्छी कही जालिम हूं जाहिल हूं मैं !!
साकी की मुहब्बत में दिल साफ हुआ इतना !!
जब सर को झुकाता हूं शीशा नजर आता है !!
Allama iqbal shayari in hindi
मुमकिन है कि तू जिसको समझता है बहारां !!
औरों की निगाहों में वो मौसम हो खिजां का !!
तेरी दुआ से कज़ा तो बदल नहीं सकती !!
मगर है इस से यह मुमकिन की तू बदल जाये !!
तेरी दुआ है की हो तेरी आरज़ू पूरी !!
मेरी दुआ है तेरी आरज़ू बदल जाये !!
तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ !!
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ !!
ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को !!
कि मैं आप का सामना चाहता हूँ !!
तेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता हूँ !!
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ !!
भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी !!
बड़ा बे अदब हूँ सज़ा चाहता हूँ !!
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं !!
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं !!
तही ज़िंदगी से नहीं ये फ़ज़ाएँ !!
यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं !!
कौन ये कहता है !!
ख़ुदा नज़र नहीं आता !!
वही तो नज़र आता है !!
जब कुछ नज़र नहीं आता !!
मस्जिद तो बना दी शब भर में ईमाँ की हरारत वालों ने !!
मन अपना पुराना पापी है !!
बरसों में नमाज़ी बन न सका !!
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं !!
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं !!
तही ज़िंदगी से नहीं ये फ़ज़ाएँ !!
यहाँ सैकड़ों कारवाँ और भी हैं !!
ख़िर्द-मंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है !!
कि मैं इस फ़िक्र में रहता हूँ मेरी इंतिहा क्या है !!
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले !!
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है !!
Jai Hanuman Ji Status | हनुमान जी स्टेटस इन हिंदी व्हाट्सएप्प
Allama iqbal ki shayari
तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ !!
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ !!
ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को !!
कि मैं आप का सामना चाहता हूँ !!
ज़िंदगी का मतलब क्या है !!
यह वो फ़क़ीर ही जाने !!
जो तेरे दिल में बसा है !!
वो दिल वाला ही जाने !!