अजनबी शायरी 2 लाइन
जो चाहा वो मिला नही तो क्यों ना !!
जो मिला है उसे चाहा जाए !!
क्यों बनू मैं किसी और जैसा !!
जमाने में मुझसा भी तो कोई नही !!
क्यों तलास्ते हो खूबी मुझमें ये खूबी !!
क्या कम है की तुम मेरे हो !!
छोटी सी बिंदी रंग सांवला है !!
उसे देख हर कोई बावला है !!
मुस्कुराना आदत है हमारी !!
वरना जिंदगी तो हमसे भी नाराज है !!
इस अजनबी शहर में पत्थर कहां से आया है !!
लोगों की भीड़ में कोई अपना ज़रूर है !!
मंजिल का नाराज होना भी जायज था !!
हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे !!
इस दुनिया मेँ अजनबी रहना ही ठीक है !!
लोग बहुत तकलीफ देते है अक्सर अपना बना कर !!
हमसे मत पूछो यारो उनके बारे मे !!
अजनबी क्या जाने अजनबी के बारे मे !!
हमसफ़र की तरह वो चला था मगर !!
रास्ते भर रहा अजनबी अजनबी !!
हमसे मत पूछिए जिंदगी के बारे में !!
अजनबी क्या जाने अजनबी के बारे में !!
इस अजनबी शहर में पत्थर कहां से आया है !!
लोगों की भीड़ में कोई अपना ज़रूर है !!
मंजिल का नाराज होना भी जायज था !!
हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे !!
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