Ajnabi shayari in hindi
आँखें भिगोने लगी है अब तेरी बातें !!
काश तुम अजनबी ही रहते तो अच्छा होता !!
वक्त ने बदल दी !! तेरे मेरे रिश्ते की परिभाषा !!
पहले दोस्ती !! फिर अपनापन और अब अजनबी सा अहसास !!
उसकी हर एक शिकायत देती है मुहब्बत की गवाही !!
अजनबी से वर्ना कौन हर बात पर तकरार करता है !!
अजनबी था तो मेरे जवाबों पर तुम्हे यकीन था !!
कम्बख्त जान का सबब बन गयी है ये जान पहचान !!
इस दुनिया मेँ अजनबी रहना ही ठीक है !!
लोग बहुत तकलीफ देते है अक्सर अपना बना कर !!
कल तक सिर्फ़ एक अजनबी थे तुम !!
आज दिल की एक एक धड़कन की बंदगी हो तुम !!
कितनी अजनबी हैं ये रातें ये दिन !!
बेगानी सी लगती हैं तुम बिन !!
चेहरे अजनबी हो भी जायें तो कोई बात नहीं लेकिन !!
रवैये अजनबी हो जाये तो बड़ी तकलीफ देते हैं
तेरा नाम था आज किसी अजनबी की जुबान पे !!
बात तो जरा सी थी पर दिल ने बुरा मान लिया !!
अगर दोस्त ना मिलते तो कभी यकीन नहीं होता की !!
अजनबी लोग भी अपनों से ज्यादा प्यारे हो सकते है !!
ऐसा न हो कि ताज़ा हवा अजनबी लगे !!
कमरे का एक-आध दरीचा खुला भी रख !!
जहाँ भूली हुई यादें दामन थाम लें दिल का !!
वँहा से अजनबी बन कर गुज़र जाना ही अच्छा !!
मेरे अज़ीज़ ही मुझ को समझ न पाए हैं !!
हम अपना हाल किसी अजनबी से क्या कहते !!
अजनबी थे तो अच्छा था !!
इस जान पहचान ने कम्बखत फासले बढ़ा दिए !!
खुशी देने वाले अपने तो होते ही है !!
पर गम देने वाले भी अजनबी नही होते !!
इसे भी पढ़े :-