इस दुनिया मेँ अजनबी रहना ही ठीक है !!
लोग बहुत तकलीफ देते है अक्सर अपना बना कर !!
साथ बिताए वो पल फिर से भूल जाते है !!
चल फिर से अजनबी होने का खेल दिखाते है !!
सदियों बाद उस अजनबी से मुलाक़ात हुई !!
आँखों ही आँखों में चाहत की हर बात हुई !!
मंजिल का नाराज होना भी जायज था !!
हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे थे !!
उसकी हर एक शिकायत देती है मुहब्बत की गवाही !!
अजनबी से वर्ना कौन हर बात पर तकरार करता है !!
उसकी हर एक शिकायत देती है मुहब्बत की गवाही !!
अजनबी से वर्ना कौन हर बात पर तकरार करता है !!
कल तक तो सिर्फ़ एक अजनबी थे तुम !!
आज दिल की हर एक धड़कन पर हुकूमत है तुम्हारी !!
जिंदगी अजनबी मोड़ पर ले आई है !!
तुम चुप हो मुझ से और मैँ चुप हूँ सबसे !!
तेरा नाम था आज किसी अजनबी की ज़ुबान पे !!
बात तो ज़रा सी थी पर दिल ने बुरा मान लिया !!
अजनबी शहर में एक दोस्त मिला !!
वक्त नाम था पर जब भी मिला मजबूर मिला !!
कोई अजनबी ख़ास हो रहा है !!
लगता है फिर प्यार हो रहा है !!
मैं खुद भी अपने लिए अजनबी हूं !!
मुझे गैर कहने वाले तेरी बात मे दम है !!
प्यार का ज़ज़्बा भी क्या क्या ख्वाब दिखा देता है !!
अजनबी चेहरों को महबूब बना देता है !!
इस अजनबी शहर में पत्थर कहां से आया है !!
लोगों की भीड़ में कोई अपना ज़रूर है !!
उस अजनबी से हाथ मिलाने के वास्ते
महफ़िल में सब से हाथ मिलाना पड़ा मुझे !!
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