Best Farz Shayari In Hindi 2023 | जिम्मेदारी पर शायरी

हुआ है तुझ से बिछड़ने के बा’द ये मा’लूम !!
कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी !!

तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो ‘फ़राज़ !!
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला !!

अकेला ही दर्द सह रहा हुं मैं !!
इश्क़ का फर्ज अदा कर रहा हुं मैं !!

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Best Farz Shayari In Hindi

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं !!
सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं !!

सुना है रब्त है उस को ख़राब-हालों से !!
सो अपने आप को बरबाद कर के देखते हैं !!

हर एक खुशी यू फ़र्ज़ निभा कर चली गयी !!
मेरा पता गमो को बता कर चली गयी !!

जिंदगी में कोई दर्द ऐसे हैं जो जीने नहीं देते !!
और कुछ फर्ज ऐसे हैं जो मरने नहीं देते.

उनका जो फ़र्ज़ है वो अहल ए सियासत !!
जाने मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे !!

दर्द तो अकेले ही सहते हैं सभी !!
भीड़ तो बस फर्ज अदा करती है !!

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ !!
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ !!

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें !!
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें !!

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम !!
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ !!

देखकर जब बच्चे को माँ-बाप मुस्कुराते है !!
हर बच्चे को उनमे अपने भगवान नजर आते है !!

मा-बाप अपना दर्द भूल जाते है।मर्ज भूल जाते है !!
बच्चे बडे होकर फर्ज भूल जाते है कर्ज भूल जाते है !!

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ !!
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ !!

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Best Farz Shayari In Hindi

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें !!
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें !!

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम !!
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ !!

आप हमारे साथ नहीं !!
चलिए कोई बात नहीं !!

अब हम को आवाज़ न दो !!
अब ऐसे हालात नहीं !!

इस दुनिया के नक़्शे में !!
शहर तो हैं देहात नहीं !!

सब है गवारा हम को मगर !!
तौहीन-ए-जज़्बात नहीं !!

हम को मिटाना मुश्किल है !!
सदियाँ हैं लम्हात नहीं !!

ज़ालिम से डरने वाले !!
क्या तेरे दो हाथ नहीं !!

कैसे आकाश में सूराख़ नहीं हो सकता !!
एक पत्थर तो तबीअत से उछालो यारो !!

हुआ है तुझ से बिछड़ने के बा’द ये मा लूम !!
कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी !!

तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो फ़राज़ !!
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला !!

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं !!
सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं !!

सुना है रब्त है उस को ख़राब-हालों से !!
सो अपने आप को बरबाद कर के देखते हैं !!

सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं !!
ये बात है तो चलो बात कर के देखते हैं !!

सुना है दिन को उसे तितलियाँ सताती हैं !!
सुना है रात को जुगनू ठहर के देखते हैं !!

देखकर जब बच्चे को माँ-बाप मुस्कुराते है !!
हर बच्चे को उनमे अपने भगवान नजर आते है !!

मा-बाप अपना दर्द भूल जाते है।मर्ज भूल जाते है !!
बच्चे बडे होकर फर्ज भूल जाते है कर्ज भूल जाते है !!

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ !!
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ !!

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें !!
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें !!

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम !!
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ !!

आप हमारे साथ नहीं !!
चलिए कोई बात नहीं !!

आप किसी के हो जाएँ !!
आप के बस की बात नहीं !!

अब हम को आवाज़ न दो !!
अब ऐसे हालात नहीं !!

इस दुनिया के नक़्शे में !!
शहर तो हैं देहात नहीं !!

सब है गवारा हम को मगर !!
तौहीन-ए-जज़्बात नहीं !!

हम को मिटाना मुश्किल है !!
सदियाँ हैं लम्हात नहीं !!

ज़ालिम से डरने वाले !!
क्या तेरे दो हाथ नहीं !!

हुआ है तुझ से बिछड़ने के बा’द ये मा लूम !!
कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी !!

तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो फ़राज़ !!
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला !!

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Farz Shayari In Hindi

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं !!
सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं !!

सुना है रब्त है उस को ख़राब-हालों से !!
सो अपने आप को बरबाद कर के देखते हैं !!

सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं !!
ये बात है तो चलो बात कर के देखते हैं !!

सुना है दिन को उसे तितलियाँ सताती हैं !!
सुना है रात को जुगनू ठहर के देखते हैं !!

सुना है बोले तो बातों से फूल झड़ते हैं !!
ये बात है तो चलो बात कर के देखते हैं !!

सुना है दिन को उसे तितलियाँ सताती हैं !!
सुना है रात को जुगनू ठहर के देखते हैं !!

महबूब के लिए कितना सुंदर श्रृंगार रस है !!
अहमद फ़राज़ की ग़ज़लें इस तरह की तमाम शायरी से भरी पड़ी हैं !!

ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो !!
नशा बढ़ता है शराबें जो शराबों में मिलें !!

कुछ तो मिरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख !!
तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिए आ !!

डूबते डूबते कश्ती को उछाला दे दूँ !!
मैं नहीं कोई तो साहिल पे उतर जाएगा !!

जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र !!
कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं !!

इस ज़िंदगी में इतनी फ़राग़त किसे नसीब !!
इतना न याद आ कि तुझे भूल जाएँ हम !!

ज़िंदगी से यही गिला है मुझे !!
तू बहुत देर से मिला है मुझे !!

यूँही मौसम की अदा देख के याद आया है !!
किस क़दर जल्द बदल जाते हैं इंसाँ जानाँ !!

कितना आसाँ था तिरे हिज्र में मरना जानाँ !!
फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते जाते !!

ये ख़्वाब है ख़ुशबू है कि झोंका है कि पल है !!
ये धुँद है बादल है कि साया है कि तुम हो !!

जब भी दिल खोल के रोए होंगे !!
लोग आराम से सोए होंगे !!

ये कौन फिर से उन्हीं रास्तों में छोड़ गया !!
अभी अभी तो अज़ाब-ए-सफ़र से निकला था !!

तेरी बातें ही सुनाने आए !!
दोस्त भी दिल ही दुखाने आए !!

कैसा मौसम है कुछ नहीं खुलता !!
बूँदा-बाँदी भी धूप भी है अभी !!

ख़ुश हो ऐ दिल कि मोहब्बत तो निभा दी तू ने !!
लोग उजड़ जाते हैं अंजाम से पहले पहले !!

हम कि दुख ओढ़ के ख़ल्वत में पड़े रहते हैं !!
हम ने बाज़ार में ज़ख़्मों की नुमाइश नहीं की !!

यूँही मर मर के जिएँ वक़्त गुज़ारे जाएँ !!
ज़िंदगी हम तिरे हाथों से न मारे जाएँ !!

जिन के हम मुंतज़िर रहे उन को !!
मिल गए और हम-सफ़र शायद !!

लोग हर बात का अफ़्साना बना देते हैं !!
ये तो दुनिया है मिरी जाँ कई दुश्मन कई दोस्त !!

किसे ख़बर वो मोहब्बत थी या रक़ाबत थी !!
बहुत से लोग तुझे देख कर हमारे हुए !!

क्या लोग थे कि जान से बढ़ कर अज़ीज़ थे !!
अब दिल से महव नाम भी अक्सर के हो गए !!

फर्ज,कहानी अपनी कहता ही रहेगा !!
यादों के साथ हमेशा बहता ही रहेगा !!

भले ही एक दूसरे को सताते रहो !!
प्यार का फर्ज लेकिन निभाते रहो !!

निभाएगा फर्ज तू यही आस है !!
दिल को आज भी तेरी प्यास है !!

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दरमियाँ अपने अनकहे फर्ज निभाते है !!
दुनिया में वो ही सच्चे आशिक कहलाते है !!

तेरी मोहब्बत का मुझ पर कर्ज है !!
तेरा साथ देना ही अब मेरा फर्ज है !!

उसे होता है सबसे ज्यादा दर्द !!
जो निभाता है प्यार में फर्ज !!

हर फर्ज़ अदा होता है !!
जब दिल साफ होता है !!

दिल में जगाए रखना दर्द का जमाना !!
खुशियों में अपने फर्ज को ना भुलाना !!

दुश्मनी को दिल से जुदा करो !!
अपने फ़र्ज को तुम अदा करो !!

किसी की मदद करने में क्यों हर्ज है !!
ये तो इंसानियत के रिश्ते का फर्ज है !!

वतन के प्रति अपना फर्ज इस तरह निभाता हूँ !!
बस ईमानदारी से अपनी रोजी-रोटी कमाता हूँ !!

दर्द तो अकेले ही सहते हैं सभी !!
भीड़ तो बस फर्ज अदा करती है !!

मारा कोई भी लफ्ज़ माँ के प्रति निभाया गया कोई भी फर्ज !!
माँ का कर्ज अदा नहीं कर सकता !!

हर एक खुशी यू फ़र्ज़ निभा कर चली गयी !!
मेरा पता गमो को बता कर चली गयी !!

जिंदगी में कोई दर्द ऐसे हैं जो जीने नहीं देते !!
और कुछ फर्ज ऐसे हैं जो मरने नहीं देते !!

मेरे ऊपर कर्ज है तेरा !!
तेरी भक्ति फर्ज है मेरा !!

मारा कोई भी लफ्ज़ माँ के प्रति निभाया गया कोई भी फर्ज !!
माँ का कर्ज अदा नहीं कर सकता !!

उनका जो फ़र्ज़ है वो अहल ए सियासत !!
जाने मेरा पैग़ाम मोहब्बत है जहां तक पहुंचे !!

हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं !!
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं !!
जिगर मुरादाबादी !!

हयात ले के चलो कायनात ले के चलो !!
चलो तो सारे ज़माने को साथ ले के चलो !!
मख़दूम मुहिउद्दीन !!

कैसे आकाश में सूराख़ नहीं हो सकता !!
एक पत्थर तो तबीअत से उछालो यारो !!

बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो !!
ऐसा कुछ कर के चलो याँ कि बहुत याद रहो !!
मीर तक़ी मीर !!

फर्ज था जो मेरा निभा दिया मैंने !!
उसने मांगा वह सब दे दिया मैंने !!
वो सुनके गैरों की बातें बेवफा हो गई !!
समझ के ख्वाब उसको आखिर भुला दिया मैंने !!

जब पांव में बाप की पगड़ी रख दी जाए !!
तो मोहब्बत से हाथ छुड़ाना पड़ता है !!
फिर चाहे कोई वेवफा कहें या बेरहम !!
कुछ ‘फर्ज’ हैं जिन्हें निभाना पड़ता हैं !!

मेरे सच्चे प्यार को !!
दिल का कर्ज़ समझा !!
बेवफाई करना तुमने !!
अपना फर्ज समझा !!

मोहब्बत में सिर्फ !!
हक तो नहीं मिलते !!
कुछ फर्ज़ भी तो !!
अदा करने होते हैं !!

उतारा मैंने कर्ज था !!
क्यों होती हो उदास !!
ये तो मेरा फर्ज था !!

जिम्मेदारियों का ये जो फर्ज है !!
जीवन का सबसे बड़ा मर्ज़ है !!
मर्ज़ : रोग,व्याधि,व्यसन !!

चुकाता है कर्ज ,किसी का !!
ना होते हुए हक़दार !!
निभाता है बाप अपना फर्ज़ !!
बिना किसी तकरार !!

सनम तेरे प्यार में अपना !!
हर फर्ज़ दिल से निभाता हूं !!
सिर्फ तेरे खातिर मैं इस !!
दुनिया को तक भूल जाता हूं !!

यार,मैं तुझसे कभी !!
जुदा ना होना चाहूंगा !!
तेरी मोहब्बत का फर्ज !!
हमेशा निभाना चाहूंगा !!

हक़ तो हमसे हमारे !!
जमाने ने छीन लिए !!
कमबख्त के ये लोग !!
फर्ज़ याद दिलाते हैं !!

इश्क का फर्ज निभाना !!
आसान नहीं होता !!
बेवफाई का दर्द सहना !!
आसान नहीं होता !!

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इश्क़ फर्ज स्टेटस

बेवफाई भी हो तो खुद !!
निभा लूंगा मैं अपना फर्ज !!
या खुदा,मेरे यार की !!
खुशी का करता हूं मैं अर्ज !!

तुझे किसी और के साथ !!
विदा करना मेरा फर्ज़ तो नहीं था !!
फिर भी अपना हक छोड़कर !!
मैंने यह फर्ज़ अदा किया !!

मेरा फर्ज बनता की !!
उसे नई लिपस्टिक ला दूं !!
मैं ही तो उसे बार बार !!
खराब करने लग जाता हूं !!

तनहाई में अपने !!
आप से मिलना पड़ेगा !!
फर्ज निभाते हुए !!
दर्द भी झेलना पड़ेगा !!

मोहब्बत में साथ !!
देना फर्ज़ होता है !!
मोहब्बत करना कभी !!
फर्ज नहीं होता हैं !!

दिल पर जो है कर्ज !!
उतारना चाहता हूं !!
अपने प्यार का फर्ज !!
निभाना चाहता हूं !!

वादे के लिए जान भी !!
चली जाए तो गम नहीं !!
और अपने फर्ज के लिए !!
वादा टूट जाए तो डर नहीं !!

प्यार को ठुकराते है !!
न जाने क्यों ,इश्क़ में फर्ज !!
निभाने से मुकरते है !!

अक्सर आशिक सच्चे !!
प्यार को ठुकराते है !!
न जाने क्यों,इश्क़ में फर्ज !!
निभाने से मुकरते है !!

इंसान कितना भी !!
अमीर क्यों ना हो जाए !!
उसे इंसानियत का फर्ज़ !!
भूलना नहीं चाहिए !!

दिल में दर्द का,छुपा ही !!
सही मगर जज्बात हो !!
इश्क करने वालों में हमेशा !!
फर्ज का एहसास हो !!

हर फर्ज़ में अहम होता है !!
इंसानियत का फर्ज़ !!
क्योंकि इस दुनिया में हमें !!
चुकाना है उसी का कर्ज़ !!

अपनों की जान से बढ़कर !!
मेरा और कोई फर्ज़ नहीं हैं !!
तेरी मोहब्बत का मुझपर !!
ऐसा कोई कर्ज़ नहीं हैं !!

चाहे खुद के लिए तुम !!
सपनों के बगैर जीना !!
संतान की अच्छी परवरिश का !!
दुनिया में ,फर्ज मगर निभाना !!

बुरे वक्त में एक दूसरे की !!
मदद करना जरूरी होता है !!
इंसानियत के फर्ज को !!
अदा करना जरूरी होता है !!

खुशियां हो चाहें,दिल में !!
फिर भी गम होते हैं !!
दोस्ती का फर्ज निभाने वाले !!
दोस्त कम होते हैं !!

भले चाहे अपनों की !!
तुम राह तकना !!
जिंदगी में फर्ज मगर !!
जरूर याद रखना !!

जिंदगी में खुशियों के !!
फूल खिलने चाहिए !!
दोस्त जरूर फर्ज निभाने !!
वाले मिलने चाहिए !!

अपने दिल से अक्स !!
उनके मिटा नहीं सकते !!
अपनों का फर्ज़ हम !!
कभी चुका नहीं सकते !!

किसी को एहसान से !!
कोई झुका ना पाया !!
सच्चे रिश्ते में फर्ज !!
कोई चुका ना पाया !!

तहे दिल से निभाया !!
प्यार में जो वादा किया !!
दूर रहकर भी इश्क का !!
फर्ज मैंने अदा किया !!

रिश्ते में शिकायत से !!
दिल पर कर्ज होता है !!
अपनों को समझ लेना !!
हमारा फर्ज होता है !!

फर्ज था जो मेरा निभा दिया मैंने !!
उसने मांगा वह सब दे दिया मैंने !!
वो सुनके गैरों की बातें बेवफा हो गई !!
समझ के ख्वाब उसको आखिर भुला दिया मैंने !!

पर टूट न जाएं हम इसलिए दिखाता नहीं !!
प्यार उसके दिल में भी होती मां के जैसी !!
पर वो कभी उस प्यार को जताता नहीं !!

थक जातें है कंधे काम के भोज से अक्सर !!
फिर भी वो कंधों को झुकाता नहीं !!
पूरी करता है हर इक जरूरत को हमारी !!
पर कभी घर के ख़र्च का अहसास दिलाता नहीं !!

हर ख्वाहिश के खातिर लड़ जाता जग से हमारी !!
पर अपनी ख्वाहिशों को हमसे दिखाता नहीं !!
वो जो दिखता है ऊपर सख्त हमें अक्सर !!
पर अपने प्यार को हमसे छुपा पाता नहीं !!

अक्सर देखा है हमने मां को लड़ते जरूरतों के खातिर !!
पर वो अपने दर्द को किसी को दिखा पाता नहीं !!
शायद यही सारी खूबियों के कारण बनाया है रब ने !!
वरना धरती पे वो पिता को बनाता नहीं !!

लोगों को कहते सुना है अक्सर हमने भी !!
क्या निभाएँ है फर्ज होने के पिता के !!
तो दोस्त उनसे भी कभी पूछो कैसी कमी होती है पिता !!
जिसके पिता अपने पिता का फर्ज़ निभाते नहीं !!

फर्ज था जो मेरा निभा दिया मैंने !!
उसने मांगा वह सब दे दिया मैंने !!
वो सुनके गैरों की बातें बेवफा हो गई !!
समझ के ख्वाब उसको आखिर भुला दिया मैंने !!

मृत्युंजय इस घट में अपना !!
कालकूट भर दे तू आज !!
ओ मंगलमय पूर्ण सदाशिव !!
रुद्र-रूप धर ले तू आज !!

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जिम्मेदारी पर शायरी

चिर-निद्रित भी जाग उठें हम !!
कर दे तू ऐसी हुंकार !!
मदमत्तों का मद उतार दे !!
दुर्धर तेरा दंड-प्रहार !!

हम अंधे भी देख सकें कुछ !!
धधका दे प्रलय-ज्वाला;
उसमें पड़कर भस्मशेष हो !!
है जो जड़ जर्जर निस्सार !!

यह मृत-शांति असह्य हो उठी !!
छिन्न इसे कर दे तू आज !!
मृत्युंजय इस घाट में अपना !!
कालकूट भर दे तू आज !!

हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं !!
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं !!
जिगर मुरादाबादी !!

हयात ले के चलो कायनात ले के चलो !!
चलो तो सारे ज़माने को साथ ले के चलो !!
मख़दूम मुहिउद्दीन !!

बारे दुनिया में रहो ग़म-ज़दा या शाद रहो !!
ऐसा कुछ कर के चलो याँ कि बहुत याद रहो !!
मीर तक़ी मीर !!

मृत्युंजय इस घट में अपना !!
कालकूट भर दे तू आज !!
ओ मंगलमय पूर्ण सदाशिव !!
रुद्र-रूप धर ले तू आज !!

चिर-निद्रित भी जाग उठें हम !!
कर दे तू ऐसी हुंकार !!
मदमत्तों का मद उतार दे !!
दुर्धर तेरा दंड-प्रहार !!

हम अंधे भी देख सकें कुछ !!
धधका दे प्रलय-ज्वाला;
उसमें पड़कर भस्मशेष हो !!
है जो जड़ जर्जर निस्सार !!

यह मृत-शांति असह्य हो उठी !!
छिन्न इसे कर दे तू आज !!
मृत्युंजय इस घाट में अपना !!
कालकूट भर दे तू आज !!

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