450+ Best Garibi Shayari In Hindi 2023 | गरीबी पर शायरी

वो जिनके हाथ में हर वक्त छाले रहते हैं !!
आबाद उन्हीं के दम पर महल वाले रहते हैं !!


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वो कुछ इस तरह गरीबी को हरा देते है !!
जब बिना कपडे बिना खाने के भी वो मुस्कुरा देते है !!

अमीरों की छत पर बारिश होती है !!
गरीबों की छतो से बारिश होती है !!

गरीबों अपनों से दूर जाना पड़ता है !!
अपने परिवार का पेट भरने के लिए !!

गरीब की थाली में पुलाव आ गया हैं !!
लगता हैं शहर मे चुनाव आ गया हैं !!

तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पे है !!
दुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पे है !!

जब भी देखता हूँ किसी गरीब को हँसते हुए !!
यकीनन खुशिओं का ताल्लुक दौलत से नहीं होता !!

तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पे है !!
दुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पे है !!

कैसे बनेगा अमीर वो हिसाब का कच्चा भिखारी !!
एक सिक्के के बदले जो बीस किमती दुआ देता हैं !!

चले जिसपे सबका ज़ोर किसी बदनसीबी है !!
हा हा हा सही पहचाना यही गरीबी है !!

अजीब मिठास है मुझ गरीब के खून में भी !!
जिसे भी मौका मिलता है वो पिता ज़रूर है !!

कोई किसी का ख़ास नहीं होता !!
जब पैसा पास नहीं होता !!

गरीब की बस्ती में ज़रा जाकर तो देखो !!
वहां बच्चे भूखे तो मिलेंगे मगर उदास नहीं !!

Garib Shayari In Hindi

सर्दी गर्मी बरसात और तूफ़ान मैं झेलता हूँ !!
गरीब हूँ खुश होकर जिंदगी का हर खेल खेलता हूँ !!

गरीबों के बच्चे भी खाना खा सके त्यौहारों में !!
तभी तो भगवान खुद बिक जाते है बाजारों में !!

तुम रूठ गये थे जिस उम्र में खिलौना न पाकर !!
वो ऊब गया था उस उम्र में पैसा कमा-कमा कर !!

अमीरों के शहर में ही गरीबी दिखती है !!
छोड़ दो ऐसा शहर जहाँ हवा बिकती है !!

तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पे है !!
दुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पे है !!

गरीब की हाज़त रावइ तू ही किया कर मेरे मोला !!
तेरे बन्दे बड़ा जलील करते है !!

बड़े बुजुर्ग कहते है की गरीब व्यक्ति की हाय !!
और दोगले व्यक्ति की राय कभी नहीं लेनी चाहिए !!

मगन था में !! सब्ज़ी में कमी निकालने में !!
और खुदा से सुखी रोटी का शुक्र मना रहा था !!

लोग गरीबो से अपना करीब का रिश्ता छुपाते है !!
और अमीरो से दूर का रिश्ता भी निभाते है !!

गरीबों के घर जो मेहमान आते है !!
उनकी स्वागत में पलकें बिछायें जाते है !!

दौलत है फिर भी अमीर नहीं लगते हो !!
क्योंकि आप गरीबों-सी सोच रखते हो !!

खुदा ने बहुत कुछ छीना है मुझसे !!
लगता है वो गरीब ज्यादा है मुझसे !!

जिन बच्चों के सिर से माँ-बाप का साया हट जाता है !!
उन्हें ऐसे हालात में देखकर कलेजा मेरा फट जाता है !!

गरीबी का एहसास जब दिल में उतर जाता है !!
गरीब का बच्चा जिद करना भी भूल जाता है !!

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Garib Shayari

गरीब के गुनाहों का हिसाब क्या खुदा लेगा !!
जिसने गिन-गिन कर पूरी जिन्दगी रोटी खाई हो !!

इक गरीब दो रोटी में पूरा जीवन गुजार देता है !!
वो ख्वाहिशों को पालता नहीं है उन्हें मार देता है !!

ड़ोली चाहे अमीर के घर से उठे चाहे गरीब के !!
चौखट एक बाप की ही सूनी होती है !!

वो रोज रोज नहीं जलता साहब !!
मंदिर का दिया थोड़े ही है गरीब का चूल्हा है !!

दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ !!
और एक गरीब सच लेकर शाम तक बैठा ही रहा !!

यहाँ गरीब को मरने की इसलिए भी जल्दी है साहब !!
कहीं जिन्दगी की कशमकश में कफ़न महँगा ना हो जाए !!

जिन अखबारों को रद्दी समझकर फेक देते है !!
कुछ बदनसीब नींद के लिए बिछौना बना लेते है !!

जो गरीबी में एक दिया न जला सका !!
एक अमीर का पटाखा उसका घर जला गया !!

शाम को थक कर टूटे झोपड़े में सो जाता है !!
वो मजदूर !! जो शहर में ऊँची इमारते बनाता है !!

अमीर की बेटी पार्लर में जितना दे आती है !!
उतने में गरीब की बेटी अपने ससुराल चली जाती है !!

कभी आसमान में घटाएं तो कभी दिन सुहाने है !!
मेरी मजबूरी तो देखो बारिश में भी मुझे कागज कमाने है !!

न जाने वो किस खिलौने से खेलता है !!
गरीब का बच्चा जो पूरे दिन मेले में गुब्बारें बेचता है !!

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गरीबी पर शायरी

सहम उठते हैं कच्चे मकान पानी के खौफ से !!
महलोंं कि आरजू ये हैं कि बरसात तेज हो !!

चेहरा बता रहा था कि मारा हैं भूख ने !!
सक कर रहे थे के कुछ खा के मर गया !!

जो गरीबी में एक दिया भी न जला सका !!
एक अमीर का पटाखा उसका घर जला गया !!

गरीबों के बच्चे भी खाना खा सके त्योहारों में !!
तभी तो भगवान खुद बिक जाते हैं बजारो में !!

अमीर की बेटी पार्लर में जितना दे आती है !!
उतने में गरीब की बेटी अपने ससुराल चली जाती है !!

भटकती है हवस दिन-रात सोने की दुकानों पर !!
गरीबी कान छिदवाती है तिनके डाल देती है !!

दिल मरीज सा हुआ है !!
ना जाने क्यो आज गरीब सा हुआ है !!

एक रोटी की भूख नही उसे चोर बना दिया !!
लोग देश नीलाम कर गए सेवा के नाम पर !!

ऐ कुछ गरीब कितने निराले होते है !!
चिरागो के तेल से इनके निवाले होते है !!

खाना है तेरे पास तो तू गरीब नही है !!
दुनिया में हर इंसान तुझसा खुशनसीब नही है !!

शहर के तमाम अमीर पैसे देकर डिस्को जाते रहे !!
गरीबी ने पैरो में रोटी के लिए घुंघरू बांध लिए !!

यह शख्स आसमान से तपिश बरसा रहा है !!
उसे खबर करो कुछ मजलूम भी यहां बसते है !!

क्या खूब फरेब का नकाब ओढ़े सियासत मौन है !!
हुक्मरानों के दौर में गरीब की भला सुनता कौन है !!

गरीबी इंसान को बहुत कुछ सिखा देती है !!
छोटी सी उम्र में अनेको तजुर्बे बता देती है !!

जिस इंसान की जिंदगी में गरीबी का खिलौना है !!
उसकी राहो में बस काटों का बिछौना है !!

मुफ्त में तो बस गरीबी आती है !!
बाकी सब तो रईसी से खरीदी जा सकती है !!

बदन काँप रहा था किसी का ठण्ड से !!
और जुटे वाले बोले वाह क्या गुलाबी मौसम है !!

मैं देखती रही उसे उसकी ख़ामोशी को सुनती रही !!
एक बच्ची अमीरो से बिख मांग कर कई सपने बुनती रही !!

तहज़ीब की मिसाल गरीबो के घर पे है !!
दुपट्टा फटा हुआ है मगर उसके सर पर है !!

ख्वाहिशे गिरवी रख मैं चेन से सोया !!
यूँ ताउम्र मेने अपनी गरीबी को खोया !!

जब खुदगर्ज़ी जज़्बातो के करीब हो जाती है !!
तब मुकम्मल रिश्तो में भी गरीबी हो जाती !!

जो अमीर था कल तक आज वो फ़क़ीर बन गया !!
वक़्त है साहेब चाँद पलों में ही कितनो का नसीब बदल गया !!

गरीबी में भोजन ना सही !! पानी से गुज़ारा कर लेते है !!
कैसे बताये हम गरीबी में कुछ भी समझौता कर लेते है !!

अपनी गरीबी पर अफ़सोस ना करना मेरे दोस्त !!
मैंने अक्सर अमीरों को ज़रा सी सुकून के लिए तरसते देखा है !!

अपनी ज़िन्दगी में हर कोई अमीर है !!
गरीब तो यह ख्वाहिश बना देती है !!

पैरों के जख्म दिखा कर जो अपना घर चलता है साहब !!
वो शख्स महज़ अपने जख्म भर जाने से डरता है !!

जान दे सकते है बस एक यही हमारे बस में है !!
सितारे तोड़ के लेन की बात हम नहीं करते !!

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Garib in hindi

डिग्री लेकर रिक्शा खींचे युवक इन बाज़ारों में !!
अनपढ़ नेता डोरे पर है महंगी महंगी करों में !!

राहों में कांटे थे फिर भी वो चलना सीख गया !!
वो गरीब का बच्चा था हर दर्द में जीना सीख गया !!

कूड़े में पड़ी रोटियां रोती है !!
पेट भरा हो तो मेरी कीमत कहां होती है !!

किसी की गरीबी की मज़ाक मत बनाना यारों !!
क्योकि कमल अक्सर कीचड़ में ही पैदा होता है !!

दान करना ही है तो गरीबो को दान कर ऐ इंसान !!
कब तक मंदिर मस्जिद को अमीर बनता रहेगा !!

ऐ खुदा तेरी बनाई इस दुनिया में हर अच्छे बुरे का हिसाब !!
क्यों गरीबी से ही लिया जाता है !!

तंगहाली को इंसान पे ऐसे हावी देखा है मेने !!
जिस्म को हवस के हवाले करते देखा है मेने !!

बह से घूम रहा था वो एक रोटी की तलाश में !!
आखिर थक कर तब्दील हो गया वो एक मुर्दा लाश में !!

गरीबी मेरे घर की !!
छीन ले गई मेरे सामने से बचपन मेरा !!

दिखने में वो गरीब थे साहब !!
मगर उनकी हसीं नवाबो से काम नहीं !!

एक गरीब दो रोटियों में पूरा दिन गुज़र देता है !!
वो ख्वाहिशो को पालता नहीं मार देता है !!

अमीरों की औलादो को चाय पसंद नहीं आती !!
और गरीबो की औलादे चाय बेचकर रोज़ी कमाते है !!

घर जाके जब बच्चो को खाना खिलाया होगा !!
बच्चो को क्या मालूम बाप ने किस हाल में कमाया होगा !!

कितना खौफ होता है शाम के अँधेरे में !!
पूछ उन परिंदो से जिनके घर नहीं होते है !!

रजाई की रुत गरीबी के आँगन में दस्तक देती है !!
जेब गरम रखने वाले ठण्ड से नहीं मरते !!

रोज शाम मैदान में बैठ ये कहते हुए एक बच्चा रोता था !!
हम गरीब है इसलिए हम गरीब का कोई दोस्त नहीं होता !!

वो जिसकी रोशनी कच्चे घरों तक भी पहुँचती है !!
न वो सूरज निकलता है न अपने दिन बदलते हैं !!

शाम को थक कर टूटे झोपड़ी में सो जाता हैं !!
वो मजदूर जो शहर में ऊंची इमारतें बनाता हैं !!

अपने मेहमान को पलको पे बिठा लेती हैं !!
गरीबी जानती हैं घर में बिछौने कम हैं !!

सुला दिया माँ ने भूखे बच्चे को ये कहकर !!
परियां आएंगी सपनों में रोटियां लेकर !!

छीन लेता हैं हर चीज़ मुझसे ये खुदा !!
क्या तू मुझसे भी ज्यादा गरीब हैं !!

हमने कुछ ऐसे भी गरीब देखे है !!
जिनके पास पैसे के अलावा कुछ भी नहीं !!

गरीबी का आलम कुछ इस कदर छाया है !!
आज अपना ही दूर होता नजर आया है !!

मजबूरियाँ हावी हो जाएँ ये जरूरी तो नहीं !!
थोडे़ बहुत शौक तो गरीबी भी रखती है !!

यहाँ गरीब को मरने की जल्दी यूँ भी है !!
कि कहीं कफ़न महंगा ना हो जाए !!

छोड़ दिया लोगों ने मुझे गले लगाना !!
गरीब से सब दूर का रिश्ता चाहते हैं !!

सो गए बच्चे गरीब के यह सुनकर !!
ख्वाब में फरिश्ते आते हैं रोटी लेकर !!

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Garibi in hindi

मरहम लगा सको तो किसी गरीब के जख्मों पर लगा देना !!
हकीम बहुत हैं बाजार में अमीरों के इलाज खातिर !!

गरीब नहीं जानता क्या है मज़हब उसका !!
जो बुझाए पेट की आग वही है रब उसका !!

अजीब मिठास है मुझ गरीब के खून में भी !!
जिसे भी मौका मिलता है वो पीता जरुर है !!

घर में चूल्हा जल सके इसलिए कड़ी धूप में जलते देखा है !!
हाँ मैंने गरीब की सांस को गुब्बारों में बिकते देखा है !!

गरीब लहरों पे पहरे बैठाय जाते हैं !!
समंदर की तलाशी कोई नही लेता !!

अजीब मिठास है मुझ गरीब !!
के खून में भी !!
जिसे भी मौका मिलता है !!
वो पीता जरुर है !!

ठहर जाओ भीड़ बहुत है !!
तुम गरीब हो !!
कुचल दिए जाओग !!

मैं क्या महोब्बत करूं किसी से !!
मैं तो गरीब हूँ लोग अक्सर बिकते हैं !!
और खरीदना मेरे बस में नहीं !!

ऐ सियासत तूने भी इस दौर में !!
कमाल कर दिया !!
गरीबों को गरीब अमीरों को !!
माला-माल कर दिया !!

एै मौत ज़रा जल्दी आना !!
गरीब के घर कफ़न का खर्चा !!
दवाओं में निकल जाता है !!

सुक्र है की मौत सबको आती है !!
वरना अमरी इस बात का भी !!
मजाक उड़ाते कि गरीब था !!
इसलिए मर गया !!

किस्मत को खराब बोलने वालों !!
कभी किसी गरीब के पास !!
बैठकर पूछना जिंदगी क्या है !!

गरीब को गरीबी नहीं मारती है !!
मारती है अमीरों की असंवेदनशीलता !!
अमीरों का छल अमीरों का लालच !!
क्योंकि गरीब मरता नहीं है मारा जाता है !!

बात मरने की भी हो तो !!
कोई तौर नहीं देखता !!
गरीब गरीबी के सिवा !!
कोई दौर नहीं देखता !!

बहुत जल्दी सीख लेता हूँ !!
जिंदगी का सबक !!
गरीब बच्चा हूँ बात-बात पर !!
जिद नहीं करता !!

जीना तो सिर्फ अमीरों के !!
नसीब में होता हैं !!
गरीब तो बस मरने से पहले !!
हजारों बार मरता हैं !!

अक्सर देखा हैं हमने !!
जो इंसान जेब से गरीब होता हैं !!
वो दिल का बड़ा अमीर होता हैं !!

मैं कड़ी धूप में जलता हूँ !!
इस यकीन के साथ !!
मैं जलुँगा तो मेरे घर में उजाले होगे !!

टूटी झोपड़ी में अपना !!
जीवन यापन करता है !!
गरीब जो शहर में अमीरो !!
के ऊंचे मकान बनाता है !!

अमीर की बेटी पार्लर में !!
जितना दे आती है !!
उतने में गरीब की बेटी अपने !!
ससुराल चली जाती है !!

गरीबों की औकात ना पूछो तो अच्छा है !!
इनकी कोई जात ना पूछो तो अच्छा है !!
चेहरे कई बेनकाब हो जायेंगे !!
ऐसी कोई बात ना पूछो तो अच्छा है !!

भूख ने निचोड़ कर रख दिया है जिन्हें !!
उनके तो हालात ना पूछो तो अच्छा है !!
मज़बूरी में जिनकी लाज लगी दांव पर !!
क्या लाई सौगात ना पूछो तो अच्छा है !!

खिलौना समझ कर खेलते जो रिश्तों से !!
उनके निजी जज्बात ना पूछो तो अच्छा है !!
बाढ़ के पानी में बह गए छप्पर जिनके !!
कैसे गुजारी रात ना पूछो तो अच्छा है !!

कही बेहतर है तेरी अमीरी से मुफसिली मेरी।
चंद सिक्के के ख़ातिर तू ने क्या नहीं खोया हैं !!
माना नहीं है मखमल का बिछौना मेरे पास !!
पर तू ये बता कितनी राते चैन से सोया है !!

ना जाने मेरा मज़हब क्या है !!
ना हिंदू हु ना मुसलमान !!
लोग मुझे गरीब कहते हैं !!

घटाएं आ चुकी हैं आसमां पे !!
और दिन सुहाने हैं !!
मेरी मजबूरी तो देखो मुझे !!
बारिश में भी काग़ज़ कमाने हैं !!

कभी आँसू तो कभी खुशी बेचीं !!
हम गरीबों ने बेकसी बेची !!
चंद सांसे खरीदने के लिए !!
रोज़ थोड़ी सी जिंदगी बेचीं !!

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पेट की भूख ने जिंदगी के !!
हर एक रंग दिखा दिए !!
जो अपना बोझ उठा ना पाये !!
पेट की भूख ने पत्थर उठवा दिए !!

हजारों दोस्त बन जाते है !!
जब पैसा पास होता है !!
टूट जाता है गरीबी में !!
जो रिश्ता ख़ास होता है !!

ऐ जिंदगी इस गरीब !!
पर कुछ एहसान कर !!
जिंदगी का अगला !!
लम्हा मेरे नाम कर !!

गरीब हूं साहब मौसम !!
की हर मार को झेलता हूं !!
फिर भी जिंदगी का !!
हर खेल खेलता हूं !!

जिन बच्चो के सिर से !!
मां-बाप का हाथ उठ जाता है !!
उन्हे अक्सर गरीबी और !!
शोषण का साथ मिल जाता है !!

मोहब्बत हमारी किस्मत !!
में कहां साहब हम तो गरीब है !!
हमें सिर्फ हम दर्दीया मिलती है !!

मैंने दुनिया में झूठ और !!
फरेब करते देखा है !!
मैंने गरीब की आंखों में !!
सच को करीब से देखा है !!

मैंने फैक्ट्रियों में गरीब के बच्चो !!
को काम करते हुए देखा है !!
इनके सपनो और !!
अरमानो को टूटते हुए देखा है !!

टूटी झोपड़ी में अपना !!
जीवन यापन करता है !!
गरीब जो शहर में अमीरो !!
के ऊंचे मकान बनाता है !!

अमीर जेब वाले फितरत !!
से फकीर होते है !!
चंद रुपयों के मोहताज !!
उनके जमीर होते है !!

जिन अखबारो को तुम रद्दी !!
समझकर फेंका करते हो !!
कुछ बदनसीब नींद के लिए !!
उसको ही चुना करते है !!

किसने कहा कि गरीब !!
की कुटिया खाली है !!
उसकी बस छत आधी !!
और आसमा पूरा है !!

आप जश्न के नशे में गिर पड़े थे !!
आज सुबह में मै कल रात की रोटी !!
ढूंढने निकला कचरे के ढेर में !!

दिल को बड़ा सुकून आता है !!
किसी गरीब की सहायता करने !!
पर जब वह मुस्कुराता है !!

मेहमानो को अपने खुदा का दर्जा देती है !!
गरीब मेहमानो को खुद से !!
ज्यादा सम्मान और सत्कार देती है !!

लोग कहते है मैं बदनसीब हूं !!
पेट की भूख मिटाई नही जाती !!
इसलिए मैं गरीब हूं !!

अक्सर कच्चे मकानो !!
मे पक्के इरादे पलते है !!
वह नंगे पांव होकर भी !!
जूतो से आगे चलते है !!

फेका हुआ कचरा किसी की !!
ख्वाहिशो का सामान हो गया !!
कही था छप्पन भोग सजा !!
तो कही बेचारा भूखा ही सो गया !!

अमीरी तो खूब ऐश में है गरीब !!
के यहां अभी तंगहाली है !!
सूरज भैया थोड़ी तपिश बढ़ा दो !!
सर्दी का कहर अभी जारी है !!

धूप छांव ना देखने दी पेट ने मौसम के !!
संग तन डाल लेता हूं छोटा हूं साहेब !!
मगर पेट बड़ों के भी पाल लेता हूं !!

बड़ा बेदर्द है यह ज़माना मेरे दोस्तों !!
यहाँ किसी का दर्द नहीं देखते लोग !!
लेकिन दर्द की तस्वीर खींच लेते है लोग !!

इंसानो की बस्ती में यह केसा शोर है !!
अमीरों का घर भरा हुआ है !!
और गरीब भूखे पेट सो रहा है !!

खुदा से की गई सारी शिकायते !!
उस वक़्त मुझे बेमतलब सी लगी !!
जब वास्तविक जरुरतमंदो को मेने !!
खिलखिला कर हस्ते देखा !!

पैसों की गरीबी अच्छी होती है !!
दिल की गरीबी से !!
तन्हाई अच्छी है मतलब की करीबी से !!

गरीब की किस्मत ही खोटी मिलती है !!
मेहनत के अनुसार आमदनी छोटी मिलती है !!
दिन भर खून पसीना एक करते है !!
तब जाकर रात को खाने में आधी रोटी मिलती है !!

मेरे अंदर के अंगार को लोग राख समझ लेते है !!
मज़बूरी नहीं समझता कोई !!
मेरी गरीबी को लोग मज़ाक समझ लेते है !!

मेरे कपड़ो से ना कर मेरे किरदार का फैसला !!
तेरा वजूद मिट जायगा !!
मेरी हकीकत जानते जानते !!

भूख ने निचोड़ कर रख दिया है जिन्हें !!
उनके तो हालात न पूछो तो अच्छा है !!
मजबूरी में जिनकी लाज लगी दांव पर !!
क्या लाई सौगात न पूछो तो अच्छा है !!

वो मंदिर का प्रसाद भी खाता है !!
वो गुरूद्वारे का लंगर भी खाता है !!
वो गरीब भूखा है साहब उसे !!
कहाँ मजहब समझे में आता है !!

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