मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता !!
हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है !!
आइना देख कर तसल्ली हुई !!
हम को इस घर में जानता है कोई !!
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर !!
आदत इस की भी आदमी सी है !!
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा !!
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा !!
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में !!
रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया !!
आप के बाद हर घड़ी हम ने !!
आप के साथ ही गुज़ारी है !!
बहुत अंदर तक जला देती हैं !!
वो शिकायते जो बया नहीं होती !!
कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत !!
मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना !!
मैं दिया हूँ! मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं !!
हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं !!
बिगड़ैल हैं ये यादे !!
देर रात को टहलने निकलती हैं !!