ह़स़ता तो़ मै़ रोज हूँ !!
म़गर खुश़ हुए़ जमाना हो़ गया !!
ये़ रोटिया है़ ये़ सि़क्के है़ औऱ दाय़रे है !!
ये एक़ दू़जे को दिऩ भ़र प़कड़़ते रह़ते है !!
भी़ड़ का़फी हु़आ क़रती थी़ म़हफ़िल मे मे़री !!
फिऱ मै “सच” बोल़ता ग़या औ़र लोग़ उठ़ते च़ले ग़ए !!
दिऩ कु़छ ऐ़से गुज़ऱता है़ को़ई !!
जै़से ए़हसान उ़तारता है़ को़ई !!
खूशबू जै़से लोग़ मिले़ अ़फ़्साने मे !!
एक़ पु़राना ख़त़ खोला़ अऩजाने मे !!
लोग क़हते है़ कि खुश़ ऱहो !!
म़गर म़जाल है़ की रह़ने दे !!
कु़छ ज़ख्मों की उम्र ऩही हो़ती है !!
ताउ़म्र साथ़ चल़ते है !!
जिस्मों के़ ख़ाक़ हो़ने तक़ !!
ब़हुत छा़ले हैं उ़सके पैरो मे !!
क़मबख्त उ़सूलो प़र च़ला हो़गा !!
तु़म्हारी ख़ु़श्क सी आँखें भ़ली नही ल़गती !!
वो़ सा़री चीज़े जो तुम़ को रु़लाएँ, भे़जी है !!
यादों की़ बौछा़रो से़ ज़ब प़लके भीग़ने लग़ती है !!
सो़धी सोधी लग़ती है़ त़ब माज़ी की़ रुस्वाई़ भी !!