क्या़ प़ता क़ब क़हां मा़रेगी !!
ब़स कि़ मै़ जिंदगी से़ ड़रता हू !!
मौत का़ क्या है़ ए़क़ बाऱ मारेगी !!
अ़भी शाम़ नही हो़ती !!
ब़स दिऩ ढ़लता है !!
शाय़द वक्त सिमट़ ऱहा है !!
सहम सी गयी है ख्वाइशे !!
ज़रूरतों ने शायद उन से !!
ऊँची आवाज़ में बात की होगी !!
पनाह मिल जाए रूह को !!
जिसका हाथ छूकर !!
उसी हथेली पर घर बना लो !!
ठुकरा दो अगर दे कोई जिल्लत से समंदर !!
इज्जत से जो मिल जाए वह !!
कतरा ही बहुत है !!
मैंने तो कहा था !!
कोई और नही है मेरे दिल में !!
देख लिया तोड़ के कोई मिला क्या !!
मैंने दबी आवाज़ में पूछा !!
मुहब्बत करने लगी हो !!
नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत !!
कुछ जख्मो की उम्र नहीं होती हैं !!
ताउम्र साथ चलते हैं !!
जिस्मो के ख़ाक होने तक !!
कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं !!
और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता !!
एक बार तो यूँ होगा, थोड़ा सा सुकून होगा !!
ना दिल में कसक होगी, ना सर में जूनून होगा !!
तुझ़ को बेह़तर ब़नाने की़ कोशिश़ में !!
तु़झे ही वक्त ऩहीं दे पा ऱहे ह़म !!
माफ़ क़रना ए़ जिंदगी !!
तु़झे ही ऩहीं जी पा ऱहे ह़म !!
मैं हर रात ख्वाईशो को !!
खुद से पहले सुला देता हु !!
हैरत यह है की हर सुबह !!
ये मुझसे पहले जग जाती है !!
बहुत मुश्किल से करता हूँ !!
तेरी यादों का कारोबार !!
मुनाफा कम है !!
पर गुज़ारा हो ही जाता है !!
इश्क़ की राह भी अजीब है !!
किसी और का सिखाया इश्क़ !!
किसी और से करना पड़ता है !!
वो जो देखकर
अनदेखा सा करता है हमें !!
देखेगा आँखे फाड़ के !!
जब हम नजर नहीं आएंगे !!
फिर नहीं बस्ते वो दिल जो !!
एक बार टूट जाया करते है !!
कब्रे कितना भी संवार लो !!
कोई जिन्दा नहीं होता !!
मोहब्बत और मौत की !!
पसंद तो देखो !!
एक को दिल चाहिये और !!
दूसरे को धड़कन !!
जो समझाए भी !!
और समझे भी !!
बस ऐसा एक समझदार !!
दिलबर चाहिए !!
कोन पूछता है !!
पिंजरे में बंद परिंदो को !!
याद वहीं आते है जो उड जाते है !!
याद तुम्हे भी आएगे वो लम्हे !!
कि कोई था !!
जब और कोई नहीं था !!