121+ Best 2 Line Gulzar Shayari in Hindi with Images Download | गुलजार शायरी इमेज

काँच के पीछे चाँद भी था और काँच के ऊपर काई भी !!
तीनों थे हम वो भी थे और मैं भी था तन्हाई भी !!

खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं !!
हवा चले न चले दिन पलटते रहते है !!

शाम से आँख में नमी सी है !!
आज फिर आप की कमी सी है !!

वो उम्र कम कर रहा था मेरी !!
मैं साल अपने बढ़ा रहा था !!

उठाए फिरते थे एहसान जिस्म का जाँ पर !!
चले जहाँ से तो ये पैरहन उतार चले !!

कोई न कोई रहबर रस्ता काट गया !!
जब भी अपनी राह चलने की कोशिश की !!

कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ !!
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की !!

कोई अटका हुआ है पल शायद !!
वक़्त में पड़ गया है बल शायद !!

कुछ बातें तब तक समझ में नहीं आती !!
जब तक ख़ुद पर ना गुजरे !!

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