किसी पर मर जाने से होती हैं मोहब्बत !!
इश्क जिंदा लोगों के बस का नहीं !!
कौन कहता हैं कि हम झूठ नहीं बोलते !!
एक बार खैरियत तो पूछ के देखियें !!
कोई अटका हुआ है पल शायद !!
वक़्त में पड़ गया है बल शायद !!
मेरे शहर में कुछ ऐसे लोग रहते है !!
जिस्म की भूख को इश्क़ कहते है !!
हम उनके लिए ‘अहम्’ !!
वा रे दिल तेरा ‘वहम’ !!
दिन कुछ ऐसे गुजारता है कोई !!
जैसे एहसान उतारता है कोई !!
यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता !!
कोई एहसास तो दरिया की आने का होता !!
आप के बाद हर घड़ी हम ने !!
आप के साथ ही गुज़ारी है !!
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई !!
जैसे एहसान उतारता है कोई !!
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते !!
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते !!