Best Majburi Shayari in Hindi 2023 | मजबूरी शायरी

जो लोग आपकी मजबूरी को समझते है !!
वही आपके मजबूरी का फायदा उठाते है !!

थक जाता हु अनकहे शब्दों के बोझ !!
से पता नहीं चुप रहना समझदारी है या मजबूरी !!

बहुत दर्दनाक होती है लाचारी !!
करती है जीना मुश्किल मजबूरी !!

बहाना कोई तो ऐ ज़िंदगी दे !!
कि जीने के लिए मजबूर हो जाऊँ !!

क्या थी मजबूरी तेरी जो रस्ते बदल लिए तूने !!
हर राज कह देने वाले क्यों इतनी सी बात छुपा ली तूने !!

तुम बेवफा नहीं ये तो धड़कने भी कहती हैं !!
अपनी मजबूरी का एक पैगाम तो भेज देते !!

ऐसी भी क्या मजबूरी आ गई जनाब की !!
आपने हमारी चाहत का कर्ज़ा धोका दे कर चुकाया !!


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Best Majburi Shayari in Hindi

सब गुलाम है अपने हालातों के यहाँ !!
बेचैन आँखे सोती नहीं रातों में यहाँ !!

मेरी मज़बूरी को समझोगे तो रो तो ना दोगी !!
पेड़ से टूटे पत्तों की तरह मुझे खो तो ना दोगे !!

कुछ अलग ही करना है तो वफ़ा करो !!
वरना मजबूरी का नाम लेकर बेवफाई तो सभी करते है !!

ज़िंदगी है अपने क़ब्ज़े में न अपने बस में मौत !!
आदमी मजबूर है और किस क़दर मजबूर है !!

आप की याद में रोऊं भी न मैं रातों को !!
हूं तो मजबूर मगर इतना भी मजबूर नहीं !!

तेरी मजबूरियां दुरुस्त मगर !!
तू ने वादा किया था याद तो कर !!

इतना तो समझते थे हम भी उस की मजबूरी !!
इंतिज़ार था लेकिन दर खुला नहीं रक्खा !!

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कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी !!
यूं कोई बेवफ़ा नहीं होता !!

चलो हम भी वफ़ा से बाज़ आए !!
मोहब्बत कोई मजबूरी नहीं है !!

कभी मजबूर कर देना कभी मजबूर हो जाना !!
यही तेरा वतीरा है यही तेरी सियासत है !!

एक ही शख़्स को चाहो सदा !!
ये कैसी मजबूरी है !!

हम अपना ग़म भूल गए !!
आज किसे देखा मजबूर !!

इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊं !!
वगरना यूं तो किसी की नहीं सुनी मैं ने !!

कम नहीं होता है उस बीमार का दुख !!
जिसको होता है किसी के प्यार का दुख !!

तुम हटाओं उसकी हर तस्वीर घर से !!
रोज कहता है हमें दीवार का दुख !!

अब भला उम्मीद उनसे क्या रखें हम !!
जिनको दिखता ही नहीं दिलदार का दुख !!

फिर कभी जाता नहीं है दूर हमसे !!
सुन लिया इक बार जिनसे यार का दुख !!

तुम मिरी मज़बूरी शायद ही समझतें !!
तुमने देखा ही नहीं घर-बार का दुख !!

लग रही है ये कहानी सब को अच्छी !!
पर कोई समझा नहीं क़िरदार का दुख !!

बदलना कौन चाहता है !!
मजबूर कर देते है लोग !!

मेरी मोहब्बत है वो कोई मज़बूरी तो नही !!
वो मुझे चाहे या मिल जाये जरूरी तो नही !!

मजबूर नही करेंगे तुझे वादे निभानें के लिए !!
बस एक बार आ जा अपनी यादें वापस ले जाने के लिए !!

हम तुम में कल दूरी भी हो सकती है !!
वज़ह कोई मज़बूरी भी हो सकती है !!

तुम्हारे बाद ये दुःख भी तो सहना पड़ रहा है !!
किसी के साथ मजबूरी में रहना पड़ रहा है !!

मोहब्बत मज़बूर करती है !!
वरना याद करने से शवाब थोड़ी मिलता है !!

बस एक इश्क़ हीं तो है जो गुरूरी है !!
वरना सब समझौता है मजबूरी है !!

कुछ यूँ हुआ किसाथ चलने की बारी आई !!
तो वो शख़्स इत्तफ़ाक़ से मजबूर हो गया !!

तेरी खामोशी अगर तेरी मज़बूरी है !!
तो रहने दे इश्क़ कौन सा जरुरी है !!

दोनों ही मजबूर रहे अपने अपने दायरे में !!
एक इश्क़ कर न सका एक इश्क़ भुला न सका !!

नज़र भी ना आऊं इतना दूर भी मत कर !!
पूरी तरह बदल जाऊ इतना मजबुर भी मत कर !!

ना पा सकूँ ना भुला सकूँ तू मेरी मजबूरी सा है !!
तेरे बिना जी रहे हैं और जी भी लेगें फिर भी तू जरूरी सा है !!

तक़दीर की बातें बहुत करता था वो !!
वक़्त आनें पर ख़ुद को मजबूर बता के चलता बना वो !!

कैसे मान लूँ कि मजबूर थी तुम !!
लहँगा तो तुम्हारी पसन्द का था !!

इक और उम्र हमें जीने को मजबूर करती है !!
तुम्हारी ख्वाहिश हमको कभी मरने नहीं देगी !!

मजबूर नही करेंगे तुझे वादे निभानें के लिए !!
बस एक बार आ जा अपनी यादें वापस ले जाने के लिए !!

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मजबूर नही करेंगे तुझे वादे निभानें के लिए !!
बस एक बार आ जा अपनी यादें वापस ले जाने के लिए !!

कुछ अलग ही करना है तो वफ़ा करो वरना !!
मजबूरी का नाम लेकर बेवफ़ाई और तो सभी करते है !!

शाख़ से कांटे का गम उनको बहुत था लेकिन
फ़ूल मजबूर थे हँसते रहे गुलदानों में !!

कह तो सकता हूं मगर मजबूर नहीं कर सकता !!
इख्तियार अपनी जगह है बेबसी अपनी जगह !!

रिश्ते बधें हो अगर दिल की डोरी से !!
तो दुर नही होते किसी मजबुरी से !!

मुझे आगोश मैं ले कर मेरी सारी कसक दूर कर दो !!
मैं सिर्फ तुम्हारा हो जाऊ मुझे इतना मजबूर कर दो !!

अपनी बेवफाई को मजबूरी बता गई !!
आज फिर वो एक समझोता कर गई !!

हमें सीने से लगाकर हमारी सारी कसक दूर कर दो !!
हम सिर्फ तुम्हारे हो जाऐ हमें इतना मजबूर कर दो !!

मजबूर रहे हम दोनो अपने अपने दायरे मैं !!
वो मोहब्बत निभा ना सका मैं मोहब्बत भुला ना सका !!

हँसना कभी कभी मजबूरी बन ही जाता है !!
वो जिंदगी का उसूल है हँसो यारो !!

बाहों में नहीं है वो कोई बात नहीं साहब !!
अभी ये दूरियाँ तो मजबूरी हैं ज़िन्दगी के लिए !!

तक़दीर की बातें बहुत करता था वो !!
वक़्त आनें पर ख़ुद को मजबूर बता के चलता बना वो !!

वो इस क़दर हमसे दूर जानें को तैयार हो गया !!
जैसे कि हमनेँ उसे मजबूर किया था मोहब्ब्त के लिए !!

उसके इज़हार को मना करना मजबूरी थी मेरी !!
उससे इश्क़ करके छोड़ देना हमसे हो नहीं पाएगा !!

उसका घर तबाह किया गया सबके सामनें !!
लोगों ने बाद में कहा की मजबूरी थी चुप रहना !!

अब हम थोड़े पुरानें खयाल के हैं क्या करें !!
हमसे ये नए नए ट्रेंड नहीं होते ज़रा मजबूरी भी तो समझा कीजिए !!

सवाल समझ कर भी जो जबाब ना दे पा रहा हो !!
सोचो ज़रा कितना मजबूर होगा वो !!

किसी को बांध कर रखना फितरत नहीं मेरी !!
मैं प्रेम का धागा हूं मजबूरी की जंजीर नहीं !!

गर्दिश तो चाहती है तबाही मेरी मगर !!
मजबूर है किसी की दुआओं के सामने !!

जिंदगी कोई ऐसा तो बहाना दे !!
की मजबूत हो जाऊं जिंदगी जीने के लिए !!

मिलना हमारा दोनों का बहुत मुश्किल है !!
क्यूंकि तुम्हारे पैर में मेहंदी है और मेरे पैर में छाले !!

दूरी भी हो सकती है कल हम में !!
और तुम में उसकी कोई मजबूरी भी हो सकती हैं !!

मुलाकातें तो आज भी हो जाती है तुमसे !!
मेरे ख्याल किसी मजबूरी के मोहताज नहीं !!

तेरी ख़ामोशी अगर तेरी मजबूरी है !!
तो रहने दो इश्क़ भी कौन सा जरूरी है !!

अपना बनाकर फिर कुछ दिनों में बेगाना बना दिया !!
भर गया दिल हमसे और मजबूरी का बहाना बना दिया !!

मैं मजबूरियां ओढ़ कर निकलता हूँ घर से आज कल !!
वरना शौक तो आज भी है बारिशों में भीगने का !!

अगर तेरी मजबूरी है भूल जाने की !!
तो मेरी आदत है तुझे याद रखने की !!

जो लोग आपकी मजबूरी को समझते है !!
वही आपके मजबूरी का फायदा उठाते है !!

नफरतें बेचने वालों की भी मजबूरी है !!
माल तो चाहिए दुकान चलाने के लिए !!

जिन्दगी भी तवायफ की तरह होती है !!
कभी मजबूरी में नाचती है कभी मशहूरी में !!

तेरी ख़ामोशी अगर तेरी मज़बूरी हैं !!
तो रहने दे इश्क कौन सा जरुरी हैं !!

तुझसे दूर रहकर मोहब्बत बढ़ती जा रही है !!
केसे कहूँ ये दुरी तुझे और करीब ला रही है !!

किसी की मजबूरी कोई समझता नहीं !!
दिल टूटे तो दर्द होता है मगर कोई कहता नहीं !!

थके लोगों को मजबूरी में चलते देख लेता हूँ !!
मैं बस की खिड़कियों से ये तमाशे देख लेता हूँ !!

किसी की मजबूरी का मजाक ना बनाओ यारों !!
जिन्दगी कभी मौका देती है तो कभी धोखा भी देती है !!

मजबूरी बन जाती है मोहब्बत में और ये मजबूरी ही है !!
जनाब जो दो दिलों को और करीब ले आती है !!

दूर हो गए तुमसे ना चाहते हुए !!
बस मजबूरी ऐसी हुई की कभी दुबारा मिल ही नहीं सके !!

खामोशी आपकी अगर मजबूरी है !!
तो रहने दो फिर इस्क कोनसा जरूरी है !!

मोहब्बत के उसूलों को अगर तुम समजते !!
तो किसी की जान बनकर उसे तन्हा नहीं करते !!

आजाद कर मुझे अपनी कैद से !!
आज भी में आपकी पहली नजर में कैद हू !!

किसी को क्या बताये कि कितना मजबूर हूं !!
चाहा था सिर्फ एक तुमको और तुमसे ही दूर हूं !!

किसी की मजबूरी का मजाक ना बनाओ यारो !!
ज़िन्दगी कभी मौका देती है कभी धोखा भी देती है !!

ज़िन्दगी में बेशक हर मौके का फायदा उठाओ !!
मगर किसी के हालात और मजबूरी का नहीं !!

सोचते थे मिलेगा सुकून ऐ दिल उनसे मिलकर !!
पर दर्द और बढ़ जाता है उन्हें देखने के बाद !!

अक्सर चलते हुए देख लेता हूं !!
थके हुए लोगों को बस की !!
खिड़कियों से अक्षर हम ये देख लेते हैं !!

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मोहब्बत और बढ़ती जा रही है !!
तुझसे दूर रहकर क्या करू !!
जो दूरी बड़ रही गई उतनी ही करीब आ रही है !!

दम तोड़ जाती है हर शिकायत !!
लबों पे आकर जब मासूमियत से !!
वो कहती है मैंने क्या किया है !!

किसी की मजबूरी का मजाक ना !!
बनाओ यारों ,जिन्दगी कभी मौका !!
देती है तो कभी धोखा भी देती है !!

मैं मजबूरियां ओढ़ कर निकलता हूँ !!
घर से आज कल वरना !!
शौक तो आज भी है बारिशों में भीगने का !!

खामोशी समझदारी भी है !!
और मजबूरी भी कहीं नज़दीकियां बढ़ाती है !!
और कहीं दूरी भी !!

कुछ अलग ही करना है तो !!
वफ़ा करो वरना मजबूरी का नाम !!
लेकर वफाई तो सभी करते है !!

कितने मजबूर हैं हम !!
प्यार के हाथों ना तुझे पाने की औकात !!
ना तुझे खोने का हौसला !!

मजबूरी में किसी का तन बिकता है !!
किसी का धन भिकता है !!
अक्सर दुकानों पर शरफत का चलन बिकता है !!

मिलना एक इत्तेफ़ाक है !!
और बिछड़ना मजबूरी है !!
चार दिन की इस जिन्दगी में !!
सबका साथ होना जरूरी है.

आप दिल से यूँ पुकारा ना करो !!
हमको यूँ प्यार से इशारा ना करो !!
हम दूर हैं आपसे ये मजबूरी है हमारी !!
आप तन्हाइयों मे यूँ रुलाया ना करो !!

मजबूरी में जब जुदा होता है !!
ज़रूरी नहीं के वो बेवफा होता है !!
दे कर वो आपकी आँखों में आँसू !!
अकेले में आपसे भी ज्यादा रोता है !!

ये न समझ के मैं भूल गया हूँ तुझे !!
तेरी खुशबू मेरी सांसो में आज भी है !!
मजबूरी ने निभाने न दी मोहब्बत !!
सच्चाई तो मेरी वफ़ा में आज भी है !!

उन्हें चाहना हमारी कमजोरी है !!
उनसे नहीं कहे पाना हमारी मजबूरी है !!
ओ क्यों नही समझते हमारी ख़ामोशी को !!
क्या प्यार का इजहार करना जरूरी है !!

वह मान न सके गुजारिश हमारी !!
मजबूरी हमारी वह जान न सके !!
कहते हे याद रखेंगे मरते दम तक !!
जीते जी पहचान न सके !!

वो छोड़ के गए हमें !!
न जाने उनकी क्या मजबूरी थी !!
खुदा ने कहा इसमें उनका कोई कसूर नहीं !!
ये कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी !!

हर प्यार में एक एहसास होता है !!
हर काम का एक अंदाज होता है !!
जब तक ना लगे बेवफाई की ठोकर !!
हर किसी को अपनी पसंद पे नाज़ होता है !!

देखा है हमने भी आज़मा कर !!
दे जाते है धोखा लोग करीब आकर !!
कहती है दुनिया मगर दिल नही !!
मानता !! क्या आप भी भुल जाओगे !!
हमें अपना बना कर !!

कभी गम तो कभी ख़ुशी देखी !!
हमने अक्सर मजबूरी और बेकसी देखी !!
उनकी नाराज़गी को हम क्या समझें !!
हमने तो खुद अपनी तकदीर की बेबसी देखी !!

मिलना एक इत्तेफ़ाक है !!
और बिछड़ना मजबूरी है !!
चार दिन की इस जिन्दगी में !!
सबका साथ होना जरूरी है !!

हमने खुदा से बोला वो छोड़ के चली गई !!
न जाने उसकी क्या मजबूरी थी !!
खुदा ने कहा इसमें उसका कोई कसूर नहीं !!
ये कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी !!

आप दिल से यूँ पुकारा ना करो !!
हमको यूँ प्यार से इशारा ना करो !!
हम दूर हैं आपसे ये मजबूरी है हमारी !!
आप तन्हाइयों मे यूँ रुलाया ना करो !!

चाँद की चांदनी आँखों में उतर आयी !!
कुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाई !!
ये जो पलकों से बह रहे हैं हल्के हल्के !!
कुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफाई !!

मजबूरी में जब जुदा होता है !!
ज़रूरी नहीं के वो बेवफा होता है !!
दे कर वो आपकी आँखों में आँसू !!
अकेले में आपसे भी ज्यादा रोता है !!

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Pyar me Majburi Shayari in Hindi

ये न समझ के मैं भूल गया हूँ तुझे !!
तेरी खुशबू मेरी सांसो में आज भी है !!
मजबूरी ने निभाने न दी मोहब्बत !!
सच्चाई तो मेरी वफ़ा में आज भी है !!

क्या थी मजबूरी तेरी !!
जो रस्ते बदल लिए तूने !!
हर राज कह देने वाले !!
क्यों इतनी सी बात छुपा ली तूने !!

राज की गहराई आँखों में उतर आई !!
कुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाई !!
ये जो पलकों से बह रहे है हल्के हल्के !!
कुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफ़ाई !!

वो मजबूरियों से घिरा है !!
वो मजबूर बहुत है !!
वो डरता नहीं मोहब्बत से !!
इसलिए मशहूर बहुत है !!

मेरी मोहबत है वो कोई मजबूरी नहीं !!
वो मुझे चाहे या मिल जाये जरूरी तो नहीं !!
ये कुछ कम है कि बसा है मेरी साँसों में वो !!
सामने हो मेरी आँखों के जरूरी तो नहीं !!

वो करीब तो बहुत है !!
मगर कुछ दूरी के साथ !!
हम दोनों जी तो रहे है !!
मगर मजबूरी के साथ !!

एक ही समझती है मजबूरी हमारी !!
वो है तुम्हारी भाभी !!
हम दोनों की किश्मत की उनके !!
हाथ में है चाभी !!

उन्हें चाहना हमारी कमजोरी है !!
उनसे नहीं कहे पाना हमारी मजबूरी है !!
ओ क्यों नही समझते हमारी ख़ामोशी को !!
क्या प्यार का इजहार करना जरूरी है !!

हर कोई किसी की मजबूरी नहीं समझता !!
दिल से दिल की दूरी नहीं समझता !!
कोई तो किसी के बिना मर-मर के जीता है !!
और कोई किसी को याद करना भी जरूरी नहीं समझता !!

हमारी शरारत से कही रूठ न जाना !!
हमारी मजबूरी से कही टूट न जाना !!
तुम्हारी मोहब्बत ही हमारी जिन्दगी है !!
इस प्यारे से रिश्ते को भूल न जाना !!

एक अधूरी ख्वाईश मेरी पूरी हो जाये !!
मुझे याद करना उनकी मजबूरी हो जाये !!
ऐ खुदा कुछ ऐसी मजबूरी बना दे !!
कि उनकी हर ख्वाइश हमारे बिना अधूरी हो जाये !!

मजबूरी के साथ कभी मुझे प्यार मत करना !!
एहसान करके मुझे कभी खुशिया दान मत करना !!
दिल करे तो सच्चा प्यार करना !!
वरना झूठी अफवाहों से मुझे बदनाम ना करना !!

कभी भी किसी की मजबूरियों पर मत हँसना !!
कोई मजबूरियों को खरीद कर नहीं लाता !!
डर रखिये वक्त की मार से !!
बुरा वक्त किसी को बता कर नहीं आता !!

गुजारिश हमारी वह मान न सके !!
मजबूरी हमारी वह जान न सके !!
कहते थे मरने के बाद भी याद रखेंगे !!
जीते जी जो हमें पहचान न सके !!

उनके बिना खुशियाँ भी हमें !!
अधूरी सी लगती है !!
लोग जिसे जीना कहते है !!
ऐसी जिन्दगी हमें मजबूरी सी लगती है !!

रिश्तों को निभाने की मजबूरी पुरानी है !!
जिंदगी तो जैसे समझौतों की कहानी है !!
दुनिया के अंदर तो धोखे का समन्दर है !!
यहाँ करते है वफ़ा मिलती बदनामी है !!

मेरे दिल की मजबूरी को कोई इल्जाम न दे !!
मुझे याद रख बेशक मेरा नाम न ले !!
तेरा वहम है कि मैंने भुला दिया तुझे !!
मेरी एक साँस ऐसी नहीं जो तेरा नाम न ले !!

मजबूरी शायरी

मैं रहूँ या ना रहूँ !!
तेरा रहना जरूरी है !!
मेरे कहने से कुछ नहीं होगा !!
जान तुझे अनजान कहना मजबूरी है !!

बहुत जुल्मी था वो !!
ओर जुल्म की आदत भी थी उन्हें !!
साथ रहना मजबूरी थी हमारी !!
क्यूंकि प्यार हम बेइम्तहन करते थे !!

आखिर शौक थोड़ी है !!
किसी का बिछड़ के एक दूसरे से रहना !!
कुछ मजबूरियां ऐसी होती है !!
मजबूत करती है अलग रहने के लिए !!

मजबूत क्यों होते है !!
आखिर ये मोहब्बत करने वाले !!
रहना एक दूसरे के पास चाहते है !!
लेकिन उनमें दूरियां कैसी आती है !!

दूर होने से पहले हकीकत जान लो अपनी !!
सुनाने से पहले हमारी भी सुन लो !!
भूलने से पहले ये सोच लेना !!
आंखे बहुत रोई है मुस्कुराने से पहले !!

जुदाई का वक़्त हमें बेक़रार करता है !!
हमारे हालात हमें मजबूर करते हैं !!
ज़रा हमारी आँखें तो पढ़ लो एक बार !!
हम खुद कैसे कहें की हम आपसे बहुत प्यार करते हैं !!

वो रोए तो बहुत !! पर मुहँ मोड़कर रोए !!
कोई तो मजबूरी होगी !! जो दिल तोड़कर रोए !!
मेरे सामने कर मेरी तस्वीर के टुकड़े !!
पता चले मेरे पीछे वो उन्हें जोड़कर रोए !!

ख़ुशियों की ख़ातिर हमने कितने क़र्ज़ उतार रक्खे हैं !!
ज़िंदगी फिर भी तूने हमपे कितने दर्द उतार रक्खे हैं !!
मासूम अगर होता तो सब मिलके लूट लेते !!
जाने किस अपने ने मेरे दुश्मन उतार रक्खे हैं !!

मजबूरी में जब कोई किसी से जुदा होता है !!
ये तो ज़रूरी नहीं कि वो बेवफ़ा होता है !!
देकर वो आपकी आँखों में जुदाई के आँसू !!
तन्हाई में वो आपसे भी ज्यादा रोता है !!

दिल से रोये मगर होंठो से मुस्कुरा बेठे !!
यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बेठे !!
वो हमे एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का !!
और हम उनके लिये जिंदगी लुटा बेठे !!

खोजोगे तो हर मंज़िल की राह मिल जाती है !!
सोचोगे तो हर बात की वजह मिल जाती है !!
ज़िंदगी इतनी मजबूर भी नही ऐ दोस्त !!
प्यार भी जीने की वजह बन जाती है !!

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